स्कूली बच्चों को एकेडमिक सपोर्ट दे रहा है आगा खान फाउंडेशन

 स्कूली बच्चों को एकेडमिक सपोर्ट दे रहा है आगा खान फाउंडेशन

आगा खान फाउंडेशन की तरफ से फुलवारी ब्लॉक के लिए एक वर्चुअल मीटिंग का आयोजन किया गया। इस मीटिंग में बच्चों को केंद्र में रखते हुए उनका सर्वांगीन विकास कैसे हो, इस मुद्दे पर चर्चा की गयी.

कार्यक्रम समन्वयक समीर कुमार ने बच्चों के सर्वांगीण विकास की बात कहीं, साथ में यह भी कहा कि आगा खान फाउंडेशन लगातार सरकारी स्कूलों को एकेडमिक सपोर्ट दे रहा है। जिला समन्वयक नेहा प्रवीण ने इस वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से व्हाट्सएप पोस्टर शेयरिंग एंड मेकिंग प्लान साझा किया। आगा खान फाउंडेशन के प्रखंड समन्वयक राज कुमार की अध्यक्षता में इस मीटिंग का आयोजन किया गया। डॉ नम्रता आनंद शिक्षिका, मध्य विद्यालय सिपारा ने मंच संचालन किया।

राजकीय सम्मान प्राप्त शिक्षिका डॉ नम्रता आनंद ने कहा की आगा खान फाउंडेशन ने शिक्षकों के इस खुला मंच को बनाकर सराहनीय प्रयास किया है जिससे सभी शिक्षक इससे लाभान्वित हो सकें। इस मंच पर फुलवारी ब्लॉक के शिक्षक, संकुल समन्वयक, प्रभारी, प्रधानाध्यापक कुल 50 लोग मिले, जिसमें सभी ने अपने अमूल्य विचारों एवं महत्वपूर्ण सुझाव को साझा किया। इस मंच पर बच्चों को केंद्र में रखते हुए उनके सर्वांगीण विकास की बात हुई जिससे बच्चों पर अभिभावकों को फायदा पहुंच सके।

शिखा स्वरूप उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय नवादा ने बिहार प्रार्थना गीत गाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया साथ ही अपने अमूल्य विचार भी रखें ।फुलवारी ब्लॉक के प्रखंड साधन सेवी सुधीर कुमार एवं विभिन्न संकुल के संकुल समन्वयक ब्रजेश नंदन, मनोज कश्यप, प्रभास कुमार,राजेश द्विवेदी, जितेंद्र कुमार आदि उपस्थित हुए। डॉ नम्रता आनंद ने कहा आज जब हमारा आत्मविश्वास खो गया है,एक अस्थिरता का माहौल है।

लोग दुख में डूबे हुए हैं , जनजीवन अस्त व्यस्त है, मौत का तांडव चारों तरफ छाया हुआ है, सभी लोग दहशत भरी जिंदगी जी रहे हैं, ऐसा कोई परिवार नहीं है ,जिसके कुछ परिजन मित्र उनसे बिछड़ कर दिवंगत न हो गए हो ऐसे माहौल में आगा खान फाउंडेशन द्वारा सबका ध्यान बच्चों की तरफ आकर्षित करने की पहल सचमुच में सराहनीय है। स्थितियां परिस्थितियां सचमुच में विपरीत चल रही है, सभी लोग अंतरात्मा से दुखी हैं ऐसी परिस्थिति में प्राइवेट स्कूल के बच्चे तो अच्छे से पढ़ पा रहे हैं लेकिन सरकारी स्कूल के बच्चे गरीबी के कारण ,एंड्राइड मोबाइल नहीं रहने के कारण, अभिभावकों में जागरूकता की कमी के कारण ठीक से नहीं पढ़ पा रहे हैं।

ऐसी कठिन परिस्थितियों में सभी शिक्षकों का दायित्व बनता है कि हमें इन बच्चों के लिए सोचना होगा कार्य करना होगा। नम्रता ने कहा महामारी की वजह से सरकारी स्कूल के बच्चों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसमें शैक्षणिक,पिछड़ापन ,अनुशासनहीनता, खेल की भावना का समाप्त हो जाना, शारीरिक विकास का रुक जाना, संचार के माध्यमों जैसे मोबाइल टीवी के साथ बच्चों का लगाव बढ़ना, बच्चों का अंतर्मुखी होना, बच्चों में उत्साह की कमी होना, बच्चों में पढ़ने की लालसा होते हुए भी संसाधन की कमी के कारण उनका नहीं पढ़ पाना ,बच्चों के बीच लर्निंग गैप का बन जाना, बच्चों का खुद को पिछड़ा हुआ महसूस करना आदि प्रमुख है।

खंड समन्वयक राज ने कहां शिक्षकों को कोविड-19 ड्यूटी में भी लगाया गया जिसे शिक्षक मानसिक रूप से परेशान है फिर भी बच्चों के लिए कार्य करने को तत्पर हैं, इसके लिए शिक्षकों की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है। नेहा प्रवीन ने कहा इस कठिन दौर से अपने आप को निकाल कर शिक्षक बच्चों के माता-पिता तक अपनी पहुंच बनाएं, जिससे अभिभावक भी अपने बच्चों की देखभाल कर उन्हें पढ़ा सकें बच्चों को सीखने सिखाने के प्रयास तेज हो। बच्चों के अभिभावक के मोबाइल को व्हाट्सएप समूह से जोड़कर प्रतिदिन शिक्षक उस समूह में पोस्टर साझा करें, इस पोस्टर में कोई कांसेप्ट होगा जिसे प्राइमरी के बच्चे देखेंगे। साथ ही बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों को इस पोस्टर की मदद से गतिविधि के माध्यम से उनको पढ़ाएंगे और अपनी समझ विकसित करेंगे।

प्राथमिक विद्यालयों में भाषा गणित और पर्यावरण की समझ विकसित करना कि आज के मीटिंग का मुख्य एजेंडा था। संकुल समन्वयक मनोज कश्यप ने कहा कि वह आगा खान फाउंडेशन के इस अच्छी सोच का जरूर साथ देगे और अपने संकुल स्तर के सभी विद्यालयों में शिक्षकों को बच्चों और अभिभावकों के साथ जोड़ने की कोशिश करेगी। उन्होंने धनकी महाबानो स्कूल का नाम भी लिया जहां के प्रभारी और शिक्षकों ने अच्छी पहल की है।

मीटिंग में प्रभारी सत्येंद्र कुमार, उपेंद्र पंडित ,शिखा स्वरूप , सत्य प्रकाश,सुनैना देवी, सुनीता कुमारी, अनिल कुमार सिंह, हर्ष राज, नेहा कुमारी, मंजू कुमारी, राजेश कुमार, चंद्रप्रभा, रेखा देवी, दिलीप कुमार ,मीना कुमारी ,अखिलेश कुमार ,अपराजिता आदि शामिल हुए और सब ने अपने अमूल्य विचारों को और अपने महत्वपूर्ण सुझाव को रखा। सत्येंद्र कुमार ने समस्याओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए व्हाट्सएप ग्रुप जल्द से जल्द बनाने के बाद की चाहे 20 बच्चों से ही क्यों नहीं शुरुआत हो। शिक्षक उपेंद्र पंडित ने जो कि कोविड-19 से लड़ाई जीत कर कोरना योद्धा बनकर फिर से एक नई जिंदगी जी रहे हैं वह भी आज की मीटिंग में शामिल हुए।

उन्होंने कहा कि बहुत जरूरी है बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ने का। उसे शेयरिंग कार्यक्रम को अच्छा बताते हुए जल्द से जल्द ग्रुप निर्माण की बात की। उन्होंने इस बात का खंडन किया कि बच्चों का मोबाइल नंबर मिलने में दिक्कत होगी ।सारे बच्चों के अकाउंट खुले हैं, उसमे कोई ना कोई नंबर साझा किया गया है ।उस नंबर पर कोशिश की जा सकती है।

अंत में डॉ नम्रता आनंद ने कहां की हम सभी इस धरती पर अपनी मर्जी से नहीं है। ईश्वर एक शक्ति है जो हर पल हमारा ख्याल रखती है। हम सब जैसे ही इस बात को मानते हैं हमारा आत्मबल बढ जाता है। इसलिए अपने आत्मबल को बढ़ाते हुए विद्यालय के बच्चों का ध्यान रखना है और उन्हें पिछड़ने नहीं देना है। अपने स्ट्रेस लेवल को कम करके व्हाट्सएप पोस्टर शेयरिंग गतिविधि पर ध्यान देना है ,जिससे प्राथमिक स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे को इसका लाभ मिल सके।

साथी मिडिल स्कूल और हाई स्कूल के बच्चों को भी उनके समग्र विकास के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर निबंध प्रतियोगिता, पेंटिंग, संगीत, भाषण, वाद-विवाद ,कविता पाठ ,कहानी मंचन, साथ ही विभिन्न प्रकार के विषयों का ज्ञान हम लोग दे सकते हैं। हम बच्चों को विभिन्न प्रकार के लिंको  से जोड़कर पढ़ने में उनकी मदद कर सकते हैं,साथ ही बच्चों के कार्यों की प्रशंसा कर उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें पुरस्कृत कर, उनकी रूचि पढ़ने में फिर से बढ़ा सकते हैं।

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