आइवरमेक्टिन दवा पर भारत के 6 डॉक्टर्स ने लिखा श्वेत-पत्र, WHO ने किया अपने वेबसाईट पर प्रकाशित

 आइवरमेक्टिन दवा पर भारत के 6 डॉक्टर्स ने लिखा श्वेत-पत्र, WHO ने किया अपने वेबसाईट पर प्रकाशित

आइवरमेक्टिन दवा कोरोना को मात देने में सफल हो रही है। यह कोरोना के इलाज के साथ-साथ संक्रमण से बचाव में भी उपयोगी है। इस पर केजीएमयू में रेस्पिरेट्री मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी व देश के अन्य छह विशेषज्ञों की तरफ से तैयार श्वेत पत्र को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया है जिससे देश को गौरवान्वित होने का मौका मिला है।

डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि सबसे पहले देश में उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना के इलाज व बचाव के लिए आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल को लेकर बीते छह अगस्त को गाइडलाइन जारी की थी। उन्होंने बताया कि यह दवा संक्रमण की प्रतिलिपि दर को कई गुना तक कम कर देती है। करीब 40 वर्षों से दुनिया भर में आइवरमेक्टिन, फाइलेरिया समेत कृमिजनित बीमारियों और कुछ वायरस जनित बीमारियों में बेहद कारगर साबित होती आ रही है।

दुनिया भर में आइवरमेक्टिन पर चल रहे 40 से अधिक क्लीनिकल ट्रायल से इस दावा के असर,डोज़ व कई तथ्यों की जानकारी मिल रही है| इस दवा के प्रभाव व उपयोग को देखते हुए डॉ सूर्यकांत त्रिपाठी के अतिरिक्त दिल्ली के डॉक्टर वीके अरोरा, चंडीगढ़ के डॉक्टर दिगंबर बेहरा, मुंबई के डॉक्टर अगम बोरा, कोयंबटूर के डॉक्टर टी मोहन कुमार, केरल के डॉक्टर नारायणा प्रदीप ने इस पर श्वेतपत्र जारी किया था। इस दवा को लक्षण रहित, माइल्ड व मॉडरेट रोगियों के उपचार और रोकथाम हेतु दी जा रही है। यह बहुत सुरक्षित दवा है। केवल गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं एवं दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जा सकती।

बता दिया जाए कि श्वेत पत्र जारी होने के बाद 100 से अधिक देशों में इसे पढ़ा गया। कोरोना के उपचार, रोकथाम इत्यादि पर इसके असर को लेकर की गई सराहना के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारतीय डाक्टरों के श्वेत पत्र को अपनी वेबसाइट पर जगह दी है।

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