बिहार में 5 साल तक का हर दूसरा बच्चा हो रहा है नाटा, इसकी वजह आई सामने
बिहार में ‘ देश का भविष्य’ खतरे में है। पांच साल तक के 41 फीसदी बच्चे गंभीर कुपोषण के दौर से गुजर रहे हैं।
इससे न केवल उनकी लंबाई और उनका वजन प्रभावित हो रहा है बल्कि मानसिक विकास तक पर भी बुरा असर पड़ रहा है। लगभग 43 फीसदी बच्चे की उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढ़ रही है। वे नाटे हो रहे हैं। बच्चों के साथ ही गर्भवती महिलाओं में भी खून की कमी जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ती जा रही है।
केवल आंगनबाड़ी की योजनाओं से बिहार नहीं होगा कुपोषण से बाहर
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट आने के बाद पोषण के साथ ही सामाजिक विशेषज्ञों ने इसका विश्लेषण शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल आंगनबाड़ी में चलने वाली योजनाओं के भरोसे बच्चों को कुपोषण से बाहर नहीं निकाला जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार पटना और नालंदा जैसे विकसित जिलों की स्थिति भी बदतर है। सूबे के 23 फीसदी बच्चों का वजन उनकी उम्र और लंबाई के अनुसार नहीं बढ़ रहा है। वे सामान्य से अधिक पतले हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पतलेपन का कुपोषण सबसे अधिक खतरनाक और जानलेवा माना जाता है। चिंताजनक इसलिए भी है कि पिछले चार वर्षों में सूबे के 38 में से 26 जिलों में इस ढंग के कुपोषण घटने के बजाए बढे हैं।
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