कन्फ्यूशियस संस्थानों की समीक्षा होने के पहले ही डरा चीन, बोला- निष्पक्ष तरीके से करें व्यवहार

 कन्फ्यूशियस संस्थानों की समीक्षा होने के पहले ही डरा चीन, बोला- निष्पक्ष तरीके से करें व्यवहार

केंद्र सरकार द्वारा चीन के कन्फ्यूशियस संस्थानों के भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ किए गए समझौतों की समीक्षा शुरू किए जाने के 24 घंटे पहले ही ड्रैगन डर गया है। बीजिंग ने मंगलवार को नई दिल्ली से भारत-चीन उच्च शिक्षा के साथ ‘निष्पक्ष तरीके’ से व्यवहार करने को कहा है। चीनी दूतावास ने बयान में भारत से कहा कि वह दोनों देशों के बीच ‘सामान्य सहयोग पर राजनीतिकरण’ से बचे। साथ ही दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बनाए रखे।

हमारे सहयोगी अंग्रेजी अखबार ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ ने सबसे पहले जानकारी दी थी कि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कन्फ्यूशियस संस्थानों को लेकर अलर्ट जारी करने के बाद सरकार इनके खिलाफ कड़े कदम उठा सकती है। एजेंसियों ने यह भी बताया था कि कई केंद्रीय विश्वविद्यालय और संस्थान केंद्र से बुनियादी मंजूरी के बिना चीनी संस्थानों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आगे बढ़ गए थे।

चीनी दूतावास ने कहा, ‘पिछले कई वर्षों में कन्फ्यूशियस संस्थानों ने चीन-भारत के लोगों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान में चीनी भाषा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह आमतौर पर भारतीय शिक्षा समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त है।’

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध के बाद एजेंसियों ने सुरक्षा अलर्ट जारी किया था। वहीं, कन्फ्यूशियस संस्थानों को लेकर दुनियाभर के कई देशों ने अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से की जाने वाली समीक्षा बुधवार को होने वाली है।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने चीनी दूतावास के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यह समीक्षा एक राजनीतिक कवायद है। अधिकारी ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, ‘इन संस्थानों और सिलेबस की कार्यप्रणाली को समझने के लिए समीक्षा की जा रही है। यह अकादमिक दृष्टिकोण से हो रही है।’

एक दूसरे सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम वर्ष 1993 से चीन के साथ शांति की बात कर रहे हैं। लेकिन क्या इससे पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) एलएसी पर अपनी हरकतों से बाज आ रहा है।’ उन्होंने कहा कि हम सभी संस्थानों की कार्यप्रणाली की समीक्षा कर रहे हैं और एमओयू का रिव्यू कर रहे हैं। यह उन्हें बंद करने के लिए पूर्व निर्धारित मन के साथ नहीं किया जाता है। हम जानना चाहते हैं कि इसमें भारतीय छात्रों और भारत के लिए क्या है।

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