ट्रंप ने फिर कहा, सैनिकों को मारने के लिए रूस ने इनाम दिया, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली

 ट्रंप ने फिर कहा, सैनिकों को मारने के लिए रूस ने इनाम दिया, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली

वॉशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए तालिबान समर्थित आतंकियों को पैसे दिए जाने के मामले में एक नया मोड़ आया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक साक्षात्कार में इस बात को सिरे से नकार दिया कि उन्हें कोई भी ऐसी गुप्त जानकारी दी गई थी जिसमें ये कहा गया हो कि रूस ने गुप्त रूप से अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए इनाम दिए जाने की पेशकश की थी। इस बारे में ट्रंप की बीते सप्ताह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात भी की थी। बीते सप्ताह ही ये मामला प्रकाश में आया था, उसके बाद से ही तमाम तरह के सवाल उठाए जा रहे थे।

एक्सिस के साथ एक साक्षात्कार में ट्रम्प ने कहा कि यह अन्य चीजों पर चर्चा करने के लिए एक फोन कॉल था और स्पष्ट रूप से यह एक मुद्दा है कि कई लोगों ने कहा कि फर्जी खबर थी। लेकिन ट्रम्प ने पहली बार अधीनस्थों को दोषी ठहराते हुए मामले को उनके ध्यान में लाने में विफल रहने का संकेत दिया। अगर यह मेरी मेज तक पहुँचता तो मैं इसके बारे में कुछ करता। अधिकारियों ने कहा है कि मूल्यांकन फरवरी में उनकी लिखित खुफिया जानकारी में था, हालांकि वह शायद ही कभी इसे पढ़ते हैं।

ट्रंप के इस संदेश ने व्हाइट हाउस की विफलता की ओर भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया। सीआईए ने निष्कर्ष निकाला कि रूस ने सैनिकों को मारने के लिए पेशकश की थी और इनामों का भुगतान करने में असफल रहा था। इस तरह की जानकारी सामने आने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। पुतिन के प्रशासन ने इस जानकारी को दबाने की कोशिश की, उनका मानना था कि इस तरह की जानकारी सामने आने के बाद उपद्रव मच जाएगा और उसे संभालना मुश्किल होगा।

हाल के हफ्तों में शीर्ष सैन्य अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक टिप्पणियों के बावजूद, पेंटागन अधिक जानकारी के लिए काम कर रहा था। तीन वरिष्ठ अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने कहा कि कोई भी पेंटागन एजेंसी या सैन्य कमान इस मुद्दे पर समर्पित जांच नहीं कर रही थी। बल्कि वो खुफिया एजेंसी पर बड़े पैमाने पर भरोसा कर रहे थे। सीआईए के एक प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस बारे में खुफिया समुदाय ने जांच के लिए कोई विशेष टास्क फोर्स नहीं बनाया था। बल्कि उन्होंने एजेंसी को अतिरिक्त सबूतों को संग्रह करने और उनका विश्लेषण करने के लिए ध्यान केंद्रित किया था।  

संयुक्त राज्य अमेरिका ने महीनों पहले निष्कर्ष निकाला था कि रूस पश्चिम के देशों को अस्थिर करना चाहता है इस वजह से वहां पर जो सेनाएं शांति कायम रखने के लिए तैनात की गई है अब वहां पर इस तरह से अस्थिता पैदा करने की तैयारी है। इससे पहले भी बीते साल इस तरह से अमेरिकी सैनिकों पर हमले कि लिए तालिबानी आतंकियों को पुरस्कार की पेशकश की गई थी।

एक बात ये भी सामने आई कि इस्लामी आतंकवादियों और सशस्त्र आपराधिक तत्वों के बीच आपस में संबंध हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस तरह से अमेरिकी सैनिकों पर हमला करने के लिए उन्होंने मोटी रकम जमा कर ली है। याद होगा कि अफगानिस्तान में साल 2019 में युद्ध में बीस अमेरिकी मारे गए थे लेकिन उस समय यह हत्याएं संदेह के दायरे में थीं। इस तरह की जानकारी सामने आने के बाद अमेरिका का कहना है कि यदि तालिबान के साथ ऐसे किसी हमले से उनके सैनिकों की मौत मौतें हुईं है तो रूस के खिलाफ युद्ध का एक बड़ा विस्तार भी होगा। अशांति फैलाने के लिए साइबर हमले किए जाएंगे, विरोधियों को अस्थिर करने की रणनीति अपनाई जाएगी।

अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए तालिबान के आतंकियों को इनाम देने के मामले में अब तक कई जानकारियां सामने आ चुकी है, इसमें अब तक कई बार नई-नई चीजें सामने आ चुकी हैं। अब पता चला है कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और विशेष अभियान दलों ने इस रूसी साजिश के बारे में जनवरी 2020 के शुरू में ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सतर्क कर दिया था, उसके बाद फरवरी में उनकी ओर से एक नोट तैयार किया गया, फिर उसे ट्रंप के सामने रखा गया।

खुफिया अधिकारियों को एक खास सूचना मिली थी। उस सूचना पर काम करते हुए अधिकारियों ने तालिबान की चौकी पर एक छापेमारी की। उनको वहां से बड़ी मात्रा में अमेरिकी नकदी मिली जिससे इस बात का संदेह पैदा हुआ कि सैनिकों को मारने के लिए इन आतंकियों को पैसे दिए गए। पकड़े गए आतंकियों से जब खुफिया अधिकारियों ने पूछताछ की तो उन्होंने इस बात का खुलासा भी किया।  

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए उग्रवादियों और अपराधियों से जब पूछताछ की गई तो खुफिया अधिकारियों को ये भी पता चला कि रूसियों की ओर से साल 2019 में इन आतंकियों को इस तरह से इनामों की पेशकश की गई उसके बाद उनको भुगतान किया गया। इस सूचना के बाद से सैन्य और खुफिया अधिकारी पिछले 18 महीनों में अमेरिका और अन्य गठबंधन का मुकाबला करने वाले हताहतों की समीक्षा कर रहे थे ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि इनमें से कितने लोग रूस की उस साजिश का शिकार हुए हैं।

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