लादेन के लड़ाकों से लेकर गद्दाफी की फौज पर कहर बरपा चुका है राफेल

 लादेन के लड़ाकों से लेकर गद्दाफी की फौज पर कहर बरपा चुका है राफेल

अफगानिस्तान में राफेल लड़ाकू विमान 250 किलो लेजर गाइडेड जीबीयू-12 बम से लैस थे. यहां से राफेल ने कई मिशन को अंजाम दिया. दरअसल अफगानिस्तान में ही राफेल लड़ाकू विमानों का ऑपरेशनल डेब्यू हुआ. दसॉल्ट की वेबसाइट के मुताबिक राफेल ने 2007 से 2011 के बीच कई ऑपरेशन को अंजाम दिया.

जिस राफेल की घातक और विध्वंसक मारक क्षमता भारतीय वायु सेना को मिलने जा रही है. वो राफेल जब दूसरे देशों में मिशन पर निकला तो दुश्मन खेमों में हाहाकार मचा गया.

वजूद में आने के बाद राफेल ने अफगानिस्तान, लीबिया, माली, इराक और सीरिया में खतरनाक सैन्य ऑपरेशन किया. इस नये नवेले लड़ाकू विमान से जब बमों की बौछार निकली तो धमाके और आग में सब कुछ स्वाहा हो गया. इराक में इस विमान के प्रहार से कई ISIS आतंकी मारे गए

लादेन और मुल्ला उमर के लड़ाकों का संहार

9/11 के बाद अमेरिका आतंकी ओसामा बिन लादेन को ठिकाने लगाने और तालिबान के अड्डों को नेस्तानाबूद करने के लिए अफगानिस्तान में कूद पड़ा. ये लड़ाई NATO के नेतृत्व में लड़ी जा रही थी. इसलिए फ्रांस की सेनाएं भी इस जंग में शामिल हो गई.

साल 2007 में फ्रांस ने अफगानिस्तान के आसमान राफेल को उतार दिया. राफेल इसी साल फ्रांस वायुसेना का हिस्सा बना था. जबकि सबसे पहले 2004 में ये फाइटर जेट फ्रेंच नेवी का हिस्सा बना था. अफगानिस्तान में राफेल का निशाना था तालिबान का तत्कालीन सरगना मुल्ला उमर और लादेन के लड़ाके.

फ्रांस ने 6 लेजर गाइडेड राफेल विमानों को इस मिशन पर भेजा. 10 मार्च 2007 को 3 राफेल लड़ाकू विमानों को तजाकिस्तान के दुसांबे में तैनात किया गया. जबकि फ्रेंच नेवी के तीन अन्य राफेल विमानों को एयर क्राफ्ट करियर द गॉल पर तैनात किया गया.

250 किलो के लेजर गाइडेड बमों से थे लैस

उस समय ये लड़ाकू विमान 250 किलो लेजर गाइडेड जीबीयू-12 बम से लैस थे. यहां से राफेल ने कई मिशन को अंजाम दिया. दरअसल अफगानिस्तान में ही राफेल लड़ाकू विमानों का ऑपरेशनल डेब्यू हुआ. दसॉल्ट की वेबसाइट के मुताबिक राफेल ने 2007 से 2011 के बीच कई ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस दौरान विमान में लैस 30 MM बंदूकों, AASM/HAMMER हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों, लेजर गाइडेड बमों ने तालिबानी ठिकानों में जबर्दस्त तबाही मचाई.

कर्नल गद्दाफी की फौजों पर ऑपरेशन

2011 में फ्रेंच एयर फोर्स और फ्रेंच नेवी के राफेल ने लीबिया में कई ऑपरेशन किए. दसॉल्ट की वेबसाइट के मुताबिक राफेल लड़ाकू विमान लीबियाई शहर बेंगाजी और त्रिपोली पर हमला करने वाले पहले लड़ाकू विमान थे. यहां पर इनका मुकाबला लीबियाई शासक कर्नल गद्दाफी की फौजों से था. राफेल ने अफगानिस्तान के बाद यहां भी वही काबिलियत दिखाई और सटीक हमला किया. हैमर और लेजर गाइडेड मिसाइल से हमला, स्कैल्प क्रूज मिसाइल से डीप स्ट्राइक, इंटेलिजेंस, सर्विलांस, टोही गतिविधियों में इस विमान ने गजब की एक्यूरेसी दिखाई.

लीबिया में सघर्ष के दौरान सैकड़ों लक्ष्यों को ध्वस्त किया. इनमें टैंक, वज्रधारी वाहन, आयुध भंडार, कमांड सेंटर, एयर डिफेंस सिस्टम शामिल थे.

अल-वाटिया एयरबेस पर तुर्की के डिफेंस सिस्टम पर हमला

हाल ही में राफेल विमानों ने लीबिया के अल-वाटिया एयरबेस में मौजूद तुर्की के ठिकानों को नष्ट कर दिया, खास बात ये रही कि राफेल के विमान लीबियाई और तुर्की के रडार सिस्टम को चकमा देकर यहां पहुंचने में कामयाब रहे और ऑपरेशन अंजाम देकर सफलतापूर्वक लौट आए.

9 घंटे 35 मिनट तक लगातार हवा में रहे राफेल विमान

इसके बाद राफेल ने पश्चिम अफ्रीकी देश माली में ऑपरेशन में हिस्सा लिया. माली में भी फ्रेंच एयरफोर्स के राफेल विमानों ने अपने दुश्मन के 21 ठिकानों को नष्ट किया और अपनी क्षमता को साबित करते हुए 9 घंटे 35 मिनट तक लगातार हवा में रहे.

इराक में राफेल का सैन्य ऑपरेशन, दर्जनों IS आतंकी ढेर

इराक और सीरिया में राफेल को चुनौतीपूर्ण हालत में मिशन को अंजाम देना पड़ता है. सितंबर 2014 में राफेल ने इराक पर टोही अभियान की शुरूआत की. ISIS आतंकियों के खात्मे के लिए फ्रांस ने यहां 9 राफेल विमान भेजे. राफेल की जिम्मेदारी ISIS आतंकियों का अड्डा ढूंढने की थी. सितंबर 2014 में UAE के अल धफरा एयरबेस से उड़ान भरकर राफेल ने अमेरिकी सेना के साथ ऑपरेशन शुरू किया. राफेल ने उत्तर इराक के शहर जुम्मार में भयानक बमवर्षा की और ISIS के एक लॉजिस्टिक सपोर्ट डिपो को तबाह कर दिया. इस हमले में दर्जनों ISIS आतंकी मारे गए.

सीरिया में अप्रैल 2018 5 राफेल विमानों ने ISIS आतंकियों के ठिकानों पर स्कैल्प मिसाइलों से हमला किया.

अचूक निशाना, सटीक हमल करने की क्षमता, रडार को चकमा देने की शक्ति, संहारक बमों और मिसाइलों से लैस होने की वजह से राफेल लड़ाकू विमान वायु संप्रभुता की रक्षा करने का अहम हथियार बन गए हैं. यही वजह है कि कई देशों की सेनाएं इस फाइटर जेट को अपने बेड़े में शामिल करना चाहती हैं.

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