ताजमहल में लगी जाली करती है सबको आकर्षित, इसकी हकीकत जान कर आप रह जाइएगा दंग
ताजमहल में मुख्य मकबरे में प्रवेश करते ही सैलानी शाहजहाँ और मुमताज की कब्रों के चारों और बनी अष्टकोणीय संगमरमर की जाली को देखकर हैरान रह जाते हैं| संगमरमरी जाली पर किया गए पच्चीकारी के काम को देखकर पर्यटक उस दौर के कारीगरों की कलाकारी को सलाम करने लगते हैं| जिन्होनें अत्याधुनिक उपकरणों के बगैर अपने हुनर इस इस शाहकार को साकार किया|
दरअसल, शहंशाह शाहजहाँ ने यहाँ संगमरमर की नहीं, सोने की जाली लगवाई थी, जिसे बाद में हटा लिया गया था| मन जाता है कि वर्ष 1666 में शाहजहाँ की मौत के बाद जब उसे मुमताज़ की कब्र के बराबर में दफ़न किया गया,तभी यहाँ से सोने की जाली हटवाई गई होगी| वर्तमान में यहाँ लगी हुई खूबसूरत संगमरमर की जाली औरंगजेब के समय लगी थी| इसके बनने में 10 वर्ष का समय लगा था| इसमें एमराल्ड,नीलम
,गोमेद,कार्नेलियन,जैस्पर जैसे कीमती पत्थर लगे हुए हैं| शाहजहाँ ने ताजमहल के गुम्बद पर लगा कलश 466 किलो सोने से बनवाया था| वर्ष 1810 में अंग्रेज अधिकारी जोसफ टेलर ने इसे उतरवाकर सोने की पॉलिश किया हुआ ताम्बे का कलश लगवा दिया था| ताजमहल में मुमताज़ की कब्र के चारों ओर शाहजहाँ द्वारा सोने की जाली लगवाई गई थी| वर्तमान संगमरमर की जाली औरंगजेब के समय लगाई गयी थी|