मोक्षदा एकादशी को सभी व्रतों में कहा गया सर्वश्रेष्ठ,यह उपवास करता है रोग व दरिद्रता का नाश
मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मोक्षदा एकादशी का यह पावन व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। इस व्रत का लाभ व्रती के साथ उनके पितरों को भी प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है।
इस उपवास से पितरों के लिए भी खुलते हैं मोक्ष के द्वार
मान्यता है कि इस उपवास से उत्तम और मोक्ष प्रदान करने वाला कोई दूसरा व्रत नहीं है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्रती और उसके पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। व्रत कथा को श्रवण व पाठन करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। इस उपवास को करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान श्रीहरि विष्णु के निमित्त यह उपवास पूर्ण निष्ठा व श्रद्धा से करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी पापों के बंधन से मुक्त कराती है। इस दिन पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। भगवान को गंगागल से स्नान कराएं। मोक्षदा एकादशी के दिन सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की आरती करें। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। इस दिन पीले फूलों से भगवान का शृंगार करें और उनको भोग लगाएं। मोक्षदा एकादशी पर उपवास रखकर श्रीहरि के नाम का संकीर्तन करते हुए रात्रि में जागरण करें। यह व्रत रोग, दरिद्रता, तनाव और कलह का नाश करता है।
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