इसरो के चेयरमैन के. सिवान को एक वर्ष का कार्य विस्तार दिया गया

 इसरो के चेयरमैन के. सिवान को एक वर्ष का कार्य विस्तार दिया गया

कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने हाल ही में इसरो के चेयरमैन के. सिवान के कार्यकाल को एक वर्ष तक बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि के. सिवान का कार्यकाल 14 जनवरी, 2021 को समाप्त हो रहा था। अब डॉ. के. सिवान 14 जनवरी, 2022 तक अपनी सेवाएं देगे।

के. सिवान

के. सिवान तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले से हैं। उन्होंने मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से 1980 में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस, बंगलुरु से मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद वे इसरो में शामिल हुए थे।  उन्होंने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर एंड लिक्विड प्रोपल्शन सेंटर के निर्देशक के रूप में कार्य किया है। उन्होंने इसरो के लांच व्हीकल के डिजाईन व विकास में कार्य किया है। उनके नेतृत्व में GSLV ने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ उड़ान भरी थी। उनके कार्यकाल में ही चंद्रयान-2 मिशन को लांच किया गया। उन्हें 1999 में डॉ. विक्रम साराभाई रिसर्च अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

इसकी स्‍थापना 1969 में की गई। 1972 में भारत सरकार द्वारा ‘अंतरिक्ष आयोग’ और ‘अंतरिक्ष विभाग’ के गठन से अंतरिक्ष शोध गतिविधियों को अतिरिक्‍त गति प्राप्‍त हुई। ‘इसरो’ को अंतरिक्ष विभाग के नियंत्रण में रखा गया। 70 का दशक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में प्रयोगात्‍मक युग था जिस दौरान ‘भास्‍कर’, ‘रोहिणी”आर्यभट’, तथा ‘एप्पल’ जैसे प्रयोगात्‍मक उपग्रह कार्यक्रम चलाए गए।

80 का दशक संचालनात्‍मक युग बना जबकि ‘इन्सेट’ तथा ‘आईआरएस’ जैसे उपग्रह कार्यक्रम शुरू हुए। आज इन्सेट तथा आईआरएस इसरो के प्रमुख कार्यक्रम हैं। अंतरिक्ष यान के स्‍वदेश में ही प्रक्षेपण के लिए भारत का मज़बूत प्रक्षेपण यान कार्यक्रम है। इसरो की व्‍यावसायिक शाखा एंट्रिक्‍स, विश्‍व भर में भारतीय अंतरिक्ष सेवाओं का विपणन करती है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की ख़ास विशेषता अंतरिक्ष में जाने वाले अन्‍य देशों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विकासशील देशों के साथ प्रभावी सहयोग है।

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