बिहार में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर हाईकोर्ट सख्त, अब तक की कार्रवाई पर मांगे जवाब

 बिहार में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर हाईकोर्ट सख्त, अब तक की कार्रवाई पर मांगे जवाब

बिहार सरकार प्रतिबंधित दवाओं के निर्माण के लिए लाइसेंस नहीं देती है तो फिर कैसे इनका निर्माण हो रहा है। सूबे में धड़ल्ले से इनकी बिक्री कैसे हो रही है। ऐसी लापरवाही कोर्ट बर्दाश्त नहीं कर सकती है।

बुधवार को प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री व निर्माण के मामले पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने स्वास्थ विभाग के प्रधान सचिव को एक सप्ताह के भीतर यह बताने को कहा है कि प्रतिबंधित दवाओं के निर्माण व बिक्री पर लगाम लगाने के लिए तैनात किन अधिकारियों की लापरवाही के कारण सूबे में इनका निर्माण व बिक्री हो रही है। कोर्ट ने ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए गए हैं, इस बारे में पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार सिन्हा की खंडपीठ ने प्रज्ञा भारती एवं राजीव कुमार ओझा की ओर से दायर दो अलग-अलग लोकहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार केवल प्राइवेट दवा विक्रेताओं पर कार्रवाई करती है, लेकिन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। कोर्ट ने कहा कि जब प्रतिबंधित दवाओं का लाइसेंस नहीं दिया जाता तो इनका उत्पादन और बिक्री कैसे हो रहा हैं। मामले पर अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।

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