जानकी जयंती पर पढ़ें माता सीता के जन्म की अलौकिक कथा

 जानकी जयंती पर पढ़ें माता सीता के जन्म की अलौकिक कथा
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आज जानकी जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है. आज भक्तों ने माता सीता को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखा है. आज जो महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से मां सीता की पूजा करेंगी और व्रत रखेंगी उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है और कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है. हर साल माता सीता का जन्म फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.मान्यतानुसार इस दिन मिथिला के राजा जनक और रानी सुनयना की गोद में माता सीता आई थीं.

मां सीता के जन्म की कथा:

The story of Devi Sita – Indian mythology

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सीता जी वेदवती नाम की एक स्त्री का पुनर्जन्म थी. वेदवती विष्णु जी की परमभक्त थी और वह उन्हें पति के रूप में पाना चाहती थी. इसलिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए वेदवती ने कठोर तपस्या की.

कहा जाता है कि एक दिन रावण वहां से निकल रहा था जहां वेदवती तपस्या कर रही थी और वेदवती की सुंदरता को देखकर रावण उस पर मोहित हो गया. रावण ने वेदवती को अपने साथ चलने के लिए कहा लेकिन वेदवती ने साथ जाने से इंकार कर दिया. वेदवती के मना करने पर रावण को क्रोध आ गया और उसने वेदवती के साथ दुर्व्यवहार करना चाहा रावण के स्पर्श करते ही वेदवती ने खुद को भस्म कर लिया और रावण को श्राप दिया कि वह रावण की पुत्री के रूप में जन्म लेंगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेंगी.

कुछ समय बाद मंदोदरी ने एक कन्या को जन्म दिया. लेकिन वेदवती के श्राप से भयभीत रावण ने जन्म लेते ही उस कन्या को सागर में फेंक दिया. जिसके बाद सागर की देवी वरुणी ने उस कन्या को धरती की देवी पृथ्वी को सौंप दिया और पृथ्वी ने उस कन्या को राजा जनक और माता सुनैना को सौंप दिया.

krishna1008: Appearance of Sita Devi (Rama's consort) is Sunday, May 12,  2019

जिसके बाद राजा जनक ने सीता का पालन पोषण किया और उनका विवाह श्रीराम के साथ संपन्न कराया. फिर वनवास के दौरान रावण ने सीता का अपहरण किया जिसके कारण श्रीराम ने रावण का वध किया और इस तरह से सीता रावण के वध का कारण बनीं.

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