एक तिहाई युवाओं को स्मार्टफोन की लत, बढ़ा कई बीमारियों का खतरा
एक हालिया अध्ययन में सामने आया है कि दुनियाभर में करीब एक तिहाई युवा स्मार्टफोन की लत का शिकार हैं। इसके चलते इन युवाओं में नींद से संबंधित समस्याएं तो पेश आ रही रहीं हैं, इसके साथ कई अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।
दिन में आप कितनी बार अपने फोन को उठाते हैं, नियमित रूप से सोशल मीडिया पर सूचनाओं की जांच करते हैं, फोन पर मैसेज आते ही आप जल्द से या कहें बेकाबू होकर उसे देखने के लिए आगे बढ़ते हैं। ये सारी चीजें अगर आपके साथ हैं तो आपको फोन की लत है और ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं। दुनियाभर में करीब एक तिहाई युवा इस बीमारी का शिकार हैं।
किंग्स कॉलेज लंदन द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है। शोधकर्ताओं ने 1,043 लोगों को इस अध्ययन में शामिल किया। इन प्रतिभागियों की आयु सीमा 18 से 30 वर्ष के बीच की थी।
इनमें से करीब एक तिहाई युवाओं ने स्मार्टफोन की लत के लक्षणों की सूचना दी है। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन में शामिल 39 फीसदी प्रतिभागियों में अपने फोन को लेकर नियंत्रण खोने जैसे लक्षण दिखाई दिए।
लोगों की नींद खराब कर रहा फोन:
शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन में शामिल स्मार्टफोन की लत के शिकार दो तिहाई से अधिक लोगों को नींद की समस्या हो रही है। ये लोग एक अच्छी रात की नींद के लिए तरस रहे हैं। यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, ये समस्याएं उनके जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। जिन प्रतिभागियों ने सेलफोन के उच्च उपयोग की सूचना दी, उनमें नींद की खराब गुणवत्ता पाई गई। यह पूर्व के अध्ययनों के अनुरूप है जो रात में स्मार्टफोन के अति प्रयोग को कम नींद और दिन की थकान के साथ जोड़ते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि सोते समय स्मार्टफोन से करीबी या उपयोग सर्केडियन लय की प्रणाली में बदलाव करती है।
इस तरह किया गया अध्ययन:
किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन के निष्कर्ष फ्रंटियर्स इन साइकाइट्री जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने छात्रों से उनकी नींद की गुणवत्ता और स्मार्टफोन के उपयोग से संबंधित दो ऑनलाइन प्रश्नावली पूरा करने को कहा। युवाओं में स्मार्टफोन की लत का आकलन करने के लिए बनाई गई इस प्रश्नावली को देखने से करीब 39 फीसदी प्रतिभागियों में स्मार्टफोन की लत पाई गई। यानी वे अपने स्मार्टफोन के आदी हो चुके हैं।
इस प्रकार होता है असर
अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं की टीम में शामिल पोलेाट्स्की ने कहा कि फोन की लत को नोमोफोबिया के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी एलईडी स्पेक्ट्रम प्रकाश स्रोत मेलाटोनिन के स्तर को दबाने का काम करता है। मेलाटोनिन, दैनिक 24-घंटे की सर्कैडियन लय में स्रावित होता है, जिसे अक्सर स्लीप हार्मोन के रूप में जाना जाता है। इसके चरम स्तर का मतलब होता है कि हम रात के दौरान बेहतर सोते हैं।
ये उपाय करने से होगा फायदा
1- समय-सारणी निर्धारित करें
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस लत से निकलने के लिए सबसे पहले, अपने फोन को दिन के कुछ समय पर बंद करें, जैसे कि जब आप मीटिंग्स में भाग ले रहे हों, डिनर कर रहे हों, अपने बच्चों के साथ खेल रहे हों और बेशक, ड्राइविंग कर रहे हों।
2- सोशल मीडिया का कम उपयोग करें
मोबाइल से कुछ एप्लीकेशन का उपयोग सीमित करें। अपने फोन से सोशल मीडिया एप जैसे फेसबुक और ट्विटर के उपयोग को कम कर सकते हैं। इन्हें चेक करने के लिए फोन के बजाए लैपटाप का उपयोग कर सकते हैं।
3- ग्रे स्केल पर जाएं
मनोचिकित्सक मेला रॉबर्ट्स का कहना है कि अपने स्मार्टफोन को ग्रेस्केल में बदल दें (अधिकांश फोन में यह सेटिंग है)। इससे आपकी एकाग्रता में सुधार होगा। सुबह जागने के लिए फोन के स्थान पर पुराने जमाने के अलार्म का इस्तेमाल करें।