शहीद दिवस : भगत सिंह के क्रन्तिकारी विचार

 शहीद दिवस : भगत सिंह के क्रन्तिकारी विचार

भारत को आजाद कराने में कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। उनके इस त्याग के कारण ही देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो सका। 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। 23 मार्च की तारीख उस से हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। इसके बाद से 23 मार्च को देशभर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

Shaheed Diwas 2017: Bhagat Singh's emotional letter to Sukhdev will make  you feel proud

शहीद भगत सिंह का जन्म पंजाब प्रांत के लायपुर जिले के बगा में 28 सितंबर 1907 को हुआ था। महात्‍मा गांधी ने साल 1922 में चौरीचौरा कांड के बाद असहयोग आंदोलन को खत्‍म करने की घोषणा की तो देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी भगत सिंह का अहिंसावादी विचारधारा से मोहभंग हो गया। इसके बाद उन्होंने 1926 में देश की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्‍थापना की। शहीद दिवस के दिन पढ़ें देशभक्ति से भरपूर शहीद भगत सिंह के कुछ क्रांतिकारी विचार-

PM Modi, VP Naidu join nation in paying tributes to Bhagat Singh, Rajguru  and Sukhdev on martyrdom day | India News | Zee News
  • बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
  • निष्‍ठुर आलोचना और स्‍वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
  • राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।
  • प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्‍तों को अक्‍सर लोग पागल कहते हैं।
Bhagat Singh, Sukhdev and Rajguru: The revolutionary legends of Indian  freedom struggle - NewsBharati
  • जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
  • व्‍यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।
  • निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
  • ‘आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसी के अभ्यस्त हो जाते हैं। बदलाव के विचार से ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है। इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की दरकार है।’
Remembering Shaheed Bhagat Singh, India's Greatest Revolutionary, on His  Birth Anniversary
  • ‘वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं लेकिन मेरे जज्बे को नहीं।’
  • अगर बहरों को अपनी बात सुनानी है तो आवाज़ को जोरदार होना होगा. जब हमने बम फेंका तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना और उसे आजाद करना चाहिए।’

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