भारत में आज पहली बार- अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रच दिया था राकेश शर्मा ने
1980 का शुरुआती दशक भारत (India) और सोवियत संघ (Soviet Union) की दोस्ती को दौर तो था, फिर भी सोवियत संघ ने भारत को अपेक्षित सहयोग नहीं दिया था. यही वजह थी भारत में आत्मनिर्भर मिसाइल कार्यक्रम की परिकल्पना ने जन्म लिया. लेकिन सोवियत संघ ने अपनी दोस्ती निभाते हुए भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) को अंतरिक्ष में पहुंचाने में मदद जरूर की. इसी का नतीजा था कि 3 अप्रैल ,1984 को राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) सोवियत संघ के सेल्युत यान पर अंतरिक्ष में पहुंचे और इतिहास में अपना नाम लिख दिया.
कजाकिस्तान से रवाना हुए थे अंतरिक्ष में
राकेश शर्मा भारतीय वायुसेना के पायलट थे जब उन्हें सितंबर 1982 में अंतरिक्ष यात्रा के लिए चुना गया जो एक इसरो और सोवियत इंटरकोसमोस स्पेस कार्यक्रम का संयुक्त कार्यक्रम था. वे तीन अप्रैल 1984 को ही काजाक सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक के बायकोनूर कोसमोड्रोम से सोवियत रॉकेट सुयोज टी-11 में बैठे और अंतरिक्ष में रवाना हुए.
दो सोवियत साथियों का साथ
सुयोज टी-11 यान में राकेश शर्मा के अलावा दो सोवियत अंतरिक्ष यात्री भी थे. शर्मा ने अंतरिक्ष में 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट का समय बिताया. उनके साथ सोवियत यूनियन के दो अंतरिक्षयात्री यूरी मैलीशेव, गेनाडी स्ट्रेकलोव भी थे. 3 अप्रैल से 11 अप्रैल 1984 तक राकेश शर्मा अंतरिक्ष में रहे. इस दौरान उन्होंने अपने सोवियत साथियों के साथ वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन किए जिसमें 43 प्रयोगात्मक सत्र शामिल था.
कैसे हुए थे शामिल
80 के दशक की शुरुआत में सोवियत यूनियन अपना एक स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा था. सोवियत की तरफ से इंदिरा गांधी को प्रस्ताव दिया गया कि वो भी इस मिशन में दो भारतीयों को भेज सकती हैं. इसी के तहत राकेश शर्मा को चुना गया था. उनके साथ रवीश मल्होत्रा का भी चयन हुआ था लेकिन वो बैकअप में थे और अंतरिक्ष यात्रा पर नहीं गए थे.
ऊपर से भारत कैसा दिखता है?
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे सवाल पूछा, आपको अंतरिक्ष से भारत कैसा लगा तो उन्होंने जवाब दिया, “सारे जहां से अच्छा”. उनके इस जवाब से इंदिरा जी के साथ पूरा देश झूम उठा. उन्होंने अंतरिक्ष से गुरुत्वहीनता का प्रभाव दिखाते हुए दिखाया था कि पृथ्वी पर भारी कैमरा अंतरिक्ष में कितना हलका हो जाता है. जब वो वापस स्वदेश लौटे तो उनका जमकर स्वागत हुआ.
ऊपर से भारत कैसा दिखता है?
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे सवाल पूछा, आपको अंतरिक्ष से भारत कैसा लगा तो उन्होंने जवाब दिया, “सारे जहां से अच्छा”. उनके इस जवाब से इंदिरा जी के साथ पूरा देश झूम उठा. उन्होंने अंतरिक्ष से गुरुत्वहीनता का प्रभाव दिखाते हुए दिखाया था कि पृथ्वी पर भारी कैमरा अंतरिक्ष में कितना हलका हो जाता है. जब वो वापस स्वदेश लौटे तो उनका जमकर स्वागत हुआ.
राकेश शर्मा आज 72 साल के हैं, उन्हें इस बात का अफसोस है की वे लंबे से अब तक केवल इकलौते भारतीय एस्ट्रोनॉट हैं. लेकिन उन्हें इस बात की खुशी भी है कि अब व दिन दूर नहीं जब भारत के एक से अधिक एस्ट्रोनॉट होंगे. उन्हें इसरो के गगनयान के प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार है.