महात्मा गांधी जयंती 2021 : कहां से आए थे महात्मा गांधी के तीनों बंदर, जानिए तीनों बंदर के कहावत के बारे में

 महात्मा गांधी जयंती 2021 : कहां से आए थे महात्मा गांधी के तीनों बंदर, जानिए तीनों बंदर के कहावत के बारे में

महात्मा गांधी के तानों बंदर चीन के रास्ते जापान से आए थे। बताया जाता है कि एक रोज एक प्रतिनिधिमंडल गांधी जी से मिलने आया, मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल ने गांधी जी को भेंट स्वरूप तीन बंदरों का सेट दिया। गांधीजी इसे देखकर काफी खुश हुए। उन्होंने इसे अपने पास जिंदगी भर संभाल कर रखा। इस तरह ये तीन बंदर उनके नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गए। गांधी जी के ये तीनों बंदर को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। गांधी जी के तीनों बंदर एक दिलचस्प कहावत बन चुके हैं। महात्मा गांधी के ये तीनों बंदर उनके 3 विचारों को दर्शाते है –

  1. बुरा मत बोलो –

बुरा मत बोलो यानी हमें बुरा नही बोलना चाहिए। बोलने का सीधा संबंध सोचने से है। जो व्यक्ति जैसा बोलता है, उसका सीधा प्रभाव उसके दिमाग और शरीर पर होता है। आपको बता दें एक बड़े वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि जब लोग खुद में ही नकारात्मकता से बात करते हैं तो मानसिक प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में स्थित संघीय विश्वविद्यालय के शोध में पाया गया कि सामाजिक व पारिस्थितिकीय कारकों के कारण व्यक्ति की मानसिक प्रक्रिया प्रभावित होती है, जो अंतत: मानसिक अबसाद में पहुंचा देती है।

2.बुरा मत देखो :

बुरा मत देखो यानी हमें बुरा नही देखना चाहिए। हंगरी के एक प्रोफेसर जॉर्ज गर्बनर ने 1960 में कल्टीवेशन थ्योरी दी थी। जिसमें बताया गया कि व्यावसायिक टीवी कार्यक्रमों में दिखाया जाने वाला सामाजिक व्यवहार किस तरह लोगों के दिलोदिमाग पर प्रभाव डालता है। ऐसे लोग मीन वर्ल्ड सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं और उन्हें दुनिया में दुख, षड्यंत्र, अनहोनी की आशंकाएं ज्यादा दिखने लगती हैं।जैसा कि धारावाहिक देखने वाले लोगों की मानसिकता महिलाओं के प्रति ठीक वैसी हो जाती है, जैसे धारावाहिकों में उन्हें चित्रित किया जाता है।

  1. बुरा मत सुनो :

बुरा मत सुनो यानी हमें बुरा नही सुनना चाहिए। हार्वर्ड बिजनेस समीक्षा के मुताबिक, सुनने की क्षमता आपके व्यक्तिगत ही नहीं पेशेवर व्यवहार के लिए भी बेहद जरूरी है।लेकिन आप जो कुछ भी सुन रहे हैं, उसे सिद्धांतों के आधार पर तोलना पड़ेगा और गैर – सिद्धांतिक विचारों से दूरी बनानी पड़ेगी। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थी बिलियम क्रिस्ट का कहना है कि सुनने की क्षमता ही सामाजिक संबंध स्थापित करने की पहली शर्त है इसलिए व्यक्ति को दूसरों की बात बहुत धैर्य से सुननी चाहिए।

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