एक तरफ सैन्य वार्ता और दूसरी तरफ भारत की पूर्वोत्तर सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ, आखिर क्या है इसका मायने?
चीन के साथ लद्दाख में भारत का जब से हिंसक सीमा विवाद हुआ है। तब से चीन लगातार अपनी गतिविधियों से भारत को परेशान करता आ रहा है। एक ओर सैन्य वार्ता हो रही है तो दूसरी ओर चीनी सैनिक जब चाहे भारतीय सीमा में घुस रहे हैं। बीते दिन रविवार को भारत और चीनी सैनिकों के बीच सीमा पर तनाव घटाने के लिए 13 वें दौर की वार्ता हुई। बातचीत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल कही जाने वाली सीमा के चीनी इलाके में स्थित मोल्डो में हुई।
जानकारी के अनुसार, कमांडर रैंक के अधिकारियों के बीच यह बातचीत सुबह 10:30 बजे शुरू होकर शाम करीब 7 बजे तक चली। बातचीत का पिछला दौर करीब दो महीने पहले हुआ था जिसके बाद दोनों पक्ष गोर्गा या पैट्रोल पॉइंट-17ए से पीछे हटने को सहमत हुए थे। रविवार को हुई बातचीत के केंद्र में हॉट स्प्रिंग्स और दिप्सांग में बढ़ा तनाव रहा लेकिन बातचीत का ब्यौरा नहीं दिया गया।भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन प्रतिनिधि थे, जो लेह स्थित चौदहवीं कॉर्प्स के कमांडर हैं। यही टुकड़ी लद्दाख में एलएसी पर तैनात है। चीन की तरफ से मेजर जनरल लू लिन ने कमान संभाली थी।
जानकारी के मुताबिक, आपको बता दें कि इसके पहले चीनी सेना ने 5 भारतीय युवकों का अपहरण कर लिया था। उनको राजनयिक स्तर की बातचीत के बाद 12 दिनों बाद रिहा किया गया। चीन पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता है और उसे दक्षिणी तिब्बत बताता है। ताजा मामला एक ताजा मामले में चीनी सेना के करीब दो सौ जवान तवांग सेक्टर में भारतीय सीमा में घुस आए थे। वहां भारतीय जवानों के साथ उनकी हाथापाई भी हुई। लेकिन बाद में स्थानीय कमांडरों के स्तर पर मामला सुलझा लिया गया और चीनी जवानों को वापस भेज दिया गया। लेकिन इलाके में चीन की लगातार बढ़ती गतिविधियों ने सामरिक विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।