Happy Dussehra 2021 : नवरात्रि खत्म होने के बाद, आखिर क्यों मनाया जाता हैं दशहरा यानी विजयदशमी, जानिए पूरी कहानी

 Happy Dussehra 2021 : नवरात्रि खत्म होने के बाद, आखिर क्यों मनाया जाता हैं दशहरा यानी विजयदशमी, जानिए पूरी कहानी

दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व इस साल 15 अक्टूबर 2021, यानी आज शुक्रवार को मनाया जाएगा। दशहरा का दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं। भगवान राम ने इसी दिन रावण वध किया था। दशहरा का दिन बहुत शुभ होते हैं। इस दिन विवाह को छोड़कर कोई भी शुभ काम किया जा सकता है।इस दिन हथियारों की पूजा की जाती है।इस दिन अपराजिता देवी की पूजा की जाती हैं। उत्साह और पारंपरिक रीति – रिवाजों से भरपूर यह पर्व देशभर में पूरे धूमधाम से मनाया जाता हैं। आइए जानते हैं दशहरा यानी विजयदशमी पर्व मनाए जाने की प्रचलित कहानी के बारे

पहली कहानी इस प्रकार है –

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था। उसके तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी ने आशीर्वाद दिया था कि पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति उसे नहीं मार सकता है। इस आशीर्वाद के कारण उसने तीनों लोक में हाहाकार मचा रखा था। इसके बढ़ते पापों को रोकने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्ति को मिलाकर माँ दुर्गा का सृजन किया। माँ दुर्गा ने 9 दिनों तक महिषासुर का मुकाबला किया और 10वे दिन माँ दुर्गा ने इस असुर का वध कर दिया। उसके बाद सभी देवी देवाओं और लोगों को इस राक्षस से मुक्ति मिल गई और चारों तरफ हर्ष का मौहाल हो गया। क्योंकि मां दुर्गा को दसवें दिन विजय प्राप्त हुई थी इस कारण इस दिन को दशहरा यानी विजयादशमी के रूप में मनाया जाने लगा।

दूसरी कहानी इस प्रकार से है –

विजयादशमी की पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने जब आयोद्धा छोड़कर 14 वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा था और उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का हरण कर लिया था तब भगवान राम सीता माता को वापस लाने के लिए 9 देवियों की पूजा की थी और पूजा से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने श्री राम भगवान को वरदान दिया था और कई शक्तियां भी प्रदान की थी। वरदान प्राप्त करने के बाद दशमे दिन भगवान श्री राम और रावण का युद्ध हुआ। इसी युद्ध में राम ने रावण का वद्ध कर दिया था। तभी से दशहरा यानी विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत के इस त्योहार को आज तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत के कई राज्यों में रावण दहन नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जहाँ पटाखे के साथ रावण की मूर्ति को जलाया जाता है।इन कथाओं व मान्यताओं का निचोड़ देखें तो दशहरे का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर लोग एक दूसरे के गले मिलते हैं, राम जोहार करते है और आतिशबाजी कर अपनी खुशियां जाहिर करते हैं

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