बिहार : राज्य के 10 जिलों में बढ़ा बाल विवाह का ट्रेंड, सुधार में सबसे आगे राजस्थान

 बिहार : राज्य के 10 जिलों में बढ़ा बाल विवाह का ट्रेंड, सुधार में सबसे आगे राजस्थान

देश में लड़कियों के कम उम्र में शादी – विवाह करने का चलन कम हो रहा है। राज्य के तौर पर बिहार में भी हालात पहले से अच्छे हुए हैं। लेकिन यहां के 10 जिला ऐसे है जहां अभी भी बाल विवाह का ट्रेंड बढ़ा हुआ है। इनमें भागलपुर, बांका, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, कटिहार, किशनगंज, लखीसराय, पूर्वी चंपारण व दरभंगा शामिल हैं।जहां 18 साल से पहले बेटियों की शादी कर देने का चलन बढ़ता जा रहा है। इसी कारण इन जिलों में कम उम्र में ही लड़कियां मां भी बन जा रही हैं।

आपको बता दें समाजशास्त्री इस ट्रेंड को लड़कियों के लिए माता-पिता की सोच में बढ़े सामाजिक असुरक्षा से जोड़ रहे हैं। जबकि चिकित्सक कम उम्र में ब्याही जा रही लड़कियों की सेहत को लेकर चिंतित हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS)-4 यानी साल 2015-16 में जहां बिहार की 42.5 प्रतिशत बेटियों की शादी 18 साल से कम उम्र में होती थी, वहीं NFHS-5 यानी साल 2019-20 में बिहार की बेटियों की नाबालिग उम्र में शादी करने का प्रतिशत घटकर 40.8 पर आ गया। साल 2015-16 में हुए सर्वे के दौरान 15 से 19 साल की 12.2 प्रतिशत महिलाएं गर्भवती मिली थीं।साल 2019-20 में हुए सर्वे में इस उम्र की 11 महिलाएं गर्भवती पायी गयीं।

जानकारी के मुताबिक, देश में बाल विवाह की दर 3.5% गिरकर 26.8 से 23.3 पर आ गई है। कई राज्यों में भी सुधार हुआ है। झारखंड में 2016 में जहां 37.9% बेटियां कम उम्र में ब्याही जा रही थीं, वहीं 2020 में 32.2% बेटियों का ही बाल विवाह हुआ। उत्तरप्रदेश में 2015-16 में 21.8% के मुकाबले साल 2019-20 में मात्र 15.8 लड़कियों की शादी 18 से कम उम्र में हुई। उत्तराखंड में बाल विवाह की दर NFHS-4 में 13.8% थी जो NFHS-5 में 9.8%हो गई। सबसे चिंतनीय स्थिति त्रिपुरा की है। यहां बाल विवाह की दर 33.1 से बढ़कर 40.1 हो गई। सबसे अच्छी स्थिति राजस्थान की है। जहां बाल विवाह में 10% तक कमी आयी है।

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