बिहार : नीतीश सरकार इन 27 कारखानों को बताया खतरनाक, कामगारों की सुरक्षा को लेकर विभाग ने कही ये बात..
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के इन 27 कारखानों को खतरनाक माना है। जिसमें बिजली संयत्र बनाने की फैक्ट्री हो या पेट्रोल से पेट्रोल गैस का उत्पादन, शीशे का निर्माण हो या अतिज्वलनशील पदार्थों का निर्माण, ये सभी खतरनाक श्रेणी में आयेगी। श्रम संसाधन विभाग ने ऐसे 27 कारखानों को खतरनाक श्रेणी में वर्गीकृत किया है। वर्गीकरण के साथ ही विभाग ने इन श्रेणी के कारखानों में काम करने वाले कामगारों की सुरक्षा के लिए संचालकों को विशेष उपाय करने को कहा है।
इसके साथ ही विभाग ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं करने वाले कारखाना संचालकों पर नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी। विभागीय अधिकारियों ने दो दर्जन से अधिक कार्यों को खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। इसमें कांच विनिर्माण, धातुओं की पिसाई या पॉलिश, शीशे व शीशे के यौगिकों का विनिर्माण, कच्ची खालों या चमड़ों की लाइमिंग को खतरनाक श्रेणी में रखा गया है।
इसके अलावा, प्रिंटिंग प्रेस व टाइप फाउंड्री में की जाने वाली शीशे की प्रक्रियाएं, रासायनिक कार्य, जल का इलेक्ट्रोलायसिस, वस्तुओं की सफाई, चिकना या रूक्ष करने के काम को भी खतरनाक श्रेणी में रखा गया है। एस्बेस्टस का संधारण व प्रक्रिया करना, कार्बन-डाय सल्फाइड प्लांट, स्लेट-पेंसिल का विनिर्माण, खतरनाक कीटनाशकों का उत्पादन, उच्च शोर स्तर के काम, बैंजीन या बैंजीनयुक्त पदार्थों का निर्माण संधारण या उपयोग में आने वाले कामों को भी खतरनाक श्रेणी में माना गया है।
आपको बता दें विभाग ने साफ कर दिया है कि खतरनाक श्रेणी के कारखानों में काम करने वाले कामगारों के पहले स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। शारीरिक रूप से सक्षम होने पर ही कामगारों को खतरनाक श्रेणी वाले कारखानों में काम करने की अनुमति दी जाएगी। इतना ही नहीं, काम के दौरान भी ऐसे कारखानों में काम करने वाले कामगारों की आवश्यक चिकित्सीय जांच समय-समय पर योग्य चिकित्सकों से कराई जानी जरूरी होगी। चिकित्सा परीक्षा शुल्क का भुगतान व्यवसायियों की ओर से किया जाएगा।