दरभंगा : विद्यापति साहित्य में भी बिहार की चर्चा,बिहार दिवस पर संस्कृत विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन
बिहार राज्य की स्थापना भले ही आधिकारिक रूप से 22 मार्च 1912 को की गई किंतु इस नाम का अस्तित्व बहुत पहले से था। विद्यापति साहित्य में भी बिहार राज्य की चर्चा की गई है । सर्वविदित है कि इस ऐतिहासिक राज्य की सीमा में निरंतर परिवर्तन होता रहा। हमारा कर्तव्य है कि बिहार के विकास के लिए अब तक उपार्जित संपदा की रक्षा एवं सदुपयोग करते हुए विकास का सतत प्रयास करें । उक्त बातें बिहार दिवस पर सीनेट हॉल में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ शशिनाथ झा ने मंगलवार को कही।
उन्होंने कहा कि हम सभी का कर्तव्य है कि अपने अर्जित ज्ञान एवं विद्यासंपदा की रक्षा करना ।तभी बिहार के विकास की दिशा में हमलोग अग्रसर हो सकेंगे।बिहार का भविष्य अत्यंत उज्ज्ल है। वर्तमान सरकार भी सूबे के सर्वांगीण विकास हेतु तत्पर है।उक्त जानकारी देते हुए PRO निशिकांत ने बताया कि बिहार के गौरवपूर्ण इतिहास की कुलानुशासक प्रो0 श्रीपति त्रिपाठी ने विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि बिहार ने न केवल देश के अनेक राज्यों के विकास में अपना योगदान दिया है बल्कि विश्व के कई विकसित एवं विकासशील देश भी बिहार वासियों से उपकृत हैं।हमें पूरी निष्ठा से अपने कार्यों को संपादित करना होगा। तभी बिहार के गौरवशाली इतिहास की रक्षा करते हुए इसे उन्नति के मार्ग पर व्यवस्थित कर सकेंगे।
वहीं अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो0 सुरेश्वर झा ने अपने संदेश में कहा कि हमें बिहारी होने पर गर्व होना चाहिए क्योंकि हमने भारत के विकास में हर क्षेत्र में योगदान किया है।डा कुलानन्द झा ने नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवपूर्ण इतिहास तथा बिहार के अतीत की चर्चा करते हुए कहा कि हमारा बिहार जिस गति से आगे बढ़ रहा है ,निश्चय ही वह सर्वाधिक संपन्न राज्य बनेगा।डा0 विनय कुमार मिश्र ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए संकल्प का दिन है। वहीं डॉ दिलीप कुमार झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर उपकुलसचिव डा0 सुनील कुमार झा,डा0 शैलेन्द्र मोहन झा,डा0 राजेश कुमार सिंह ,डा0 यदुरूप स्वरूप शास्त्री ,भूसंपदा पदाधिकारी डा0 उमेश झा, पंकज मोहन झा, अभिमन्यु कुमार ,सतीश कुमार शर्मा एवं डा0 अनिल बिहारी ने बिहार के विकास की कामना करते हुए अपनी शुभकामनाएं दी।