कृषि मंत्री, बिहार द्वारा किया गया फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विशेष किसान चैपाल का शुभारम्भ
9 अप्रैल शनिवार को अमरेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री, बिहार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विशेष किसान चैपाल का शुभारम्भ कार्यक्रम के अवसर पर प्रचार रथों को फसल अवशेष जलाने वाले चिह्नित जिलों के पंचायतों के लिए हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता सचिव, कृषि विभाग डाॅ॰ एन॰ सरवण कुमार के द्वारा किया। अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य में गेंहूँ की कटनी आरम्भ हो रही है। विभाग द्वारा सेटेलाइट से खरीफ और रबी मौसम में फसल कटनी के बाद आगलगी की घटना से संबंधित प्राप्त चित्रों के विश्लेषण कर जिलों के फसल अवशेष जलाने वाले 200 पंचायतों को चिह्नित किया गया है।
पटना प्रमंडल के सभी जिलों में दिनांक 11 अप्रैल, 2022 से 17 अप्रैल, 2022 तक चिह्नित 200 पंचायतों में फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर विशेष किसान चैपाल का आयोजन किया जायेगा। प्रत्येक चिह्नित पंचायतों में कम से कम पाँच ऐसे गाँव जहाॅ आबादी ज्यादा हो एवं फसल जलाने की घटना पूर्व में अधिक घटी हो, वहाँ माईकिंग के माध्यम से और एल॰ई॰डी॰ युक्त प्रचार वाहनों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूकता से संबंधित फिल्म प्रदर्शित किया जायेगा। साथ ही, मगध प्रमंडल के चिह्नित 62 पंचायतों में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक किया जायेगा। इस किसान चैपाल का आयोजन सामान्य रबी/खरीफ मौसम में आयोजित किसान चैपाल के अतिरिक्त होगा।
मंत्री ने कहा कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जल कर नष्ट हो जाता है। इसके कारण मिट्टी की उर्वरा-शक्ति कम हो जाती है। साथ ही, मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। इनके मिट्टी में रहने से ही मिट्टी जीवंत कहलाता है। फसल अवषेषों को जलाने से जमीन में उपलब्ध जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, मिट्टी में नाईट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण फसलों का उत्पादन घटता है।उन्होंने कहा कि खासकर पटना एवं मगध प्रमण्डल के अधिकांश जिलों में जहाँ किसान भाई-बहन गेहूँ की कटनी कम्बाईन हार्वेस्टर से करते हैं, कटनी के उपरान्त गेहूँ के खूँटी तथा अवषेषों को खेतों में ही जला दिया जाता है। उन्होंने कहा कि एक टन फसल अवशेष को जलाने से लगभग 60 किलोग्राम कार्बन मोनोआॅक्साईड, 1,460 किलोग्राम कार्बन डाईआॅक्साईड तथा 2 किलोग्राम सल्फर डाईआॅक्साईड गैस निकलकर वातावरण में फैलता है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है।
श्री सिंह ने राज्य के किसान भाइयों एवं बहनों से अपील किया कि फसल अवशेषों को खेतों में न जलाकर उसे मिट्टी में मिला दें या उससे वर्मी कम्पोस्ट बनायें अथवा पलवार विधि से खेती करंे। ऐसा करने से मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा एवं फसलों का गुणवत्तापूर्ण तथा अधिक उत्पादन होगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी। माननीय मंत्री ने किसान भाई-बहनों से अपील की कि गेंहूँ की खूँटी, अवशेष आदि को खेतों में नहीं जलायें, बल्कि उसका उचित प्रबंधन करें।इस अवसर पर सचिव, कृषि डाॅ॰ एन॰ सरवण कुमार ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा पटना एवं मगध प्रमंडल के जिलों में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए 20 लाख रूपये लागत की 21 स्पेशल कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना की गई है। इसके साथ ही जीविका समूहों को भी फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कस्टम हायरिंग सेन्टर को प्रोत्साहित किया जा रहा है। चिह्नित पंचायतों में अवस्थित कस्टम हायरिंग सेन्टर के आस-पास इस विशेष किसान चैपाल का आयोजन किया जायेगा।
उन्होंने किसानों से रीपर कम बाईंडर से गेहूँ की कटाई तथा स्ट्राॅ रीपर से अवशेष को भूसा बनाकर पशु चारा के रूप में उपयोग करने की अपील की।इस अवसर पर, विशेष सचिव श्री बिजय कुमार, संयुक्त सचिव श्री शैलेन्द्र कुमार, अपर निदेशक (शष्य) श्री धनंजयपति त्रिपाठी, निदेशक, बामेती, डाॅ॰ जीतेन्द्र प्रसाद, संयुक्त निदेशक फसल एवं प्रक्षेत्र श्री कृष्ण बिहारी, संयुक्त निदेषक यांत्रिकरण, श्री जे0पी0 नारायण, उप निदेशक (शष्य), सूचना श्री राजेन्द्र कुमार वर्मा सहित मुख्यालय एवं क्षेत्र के अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।