हिन्दी काव्य-साहित्य के अनमोल रत्न हैं महाकवि केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ जी के जयंती पर साहित्य सम्मेलन का आयोजन

 हिन्दी काव्य-साहित्य के अनमोल रत्न हैं महाकवि केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ जी के जयंती पर साहित्य सम्मेलन का आयोजन

पटना, 11 सितम्बर। महाकवि केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ हिन्दी काव्य-साहित्य के अनमोल रत्न हैं। उनकी काव्य-कल्पनाएँ मोहित और विस्मित करती हैं। उन्होंने अपनी विलक्षण काव्य-प्रतिभा से हिन्दी-काव्य को साहित्य के शिखर पर प्रतिष्ठित किया। सम्मेलन के लिए यह गौरव का विषय है कि इसने महाकवि के तीन अनुपलब्ध कृतियों ‘कैकेयी’, ‘ऋतंवरा’ और ‘प्रभास-कृष्ण’ को एक संग्रह के रू में प्रकाशित कर उनके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा महाकवि की जयंती पर आयोजित समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही।

उन्होंने कहा कि, महाभारत के महान-योद्धा कर्ण पर लिखित उनका खंड-काव्य ‘कर्ण’ हो अथवा रामायण की खल स्त्री-पात्र ‘कैकेयी’ पर प्रबंध-काव्य, प्रभात जी ने उन्हें अद्भुत काव्य-कल्पनाओं से भरा है। उनके गीत-संग्रह ‘बैठो मेरे पास’ पठनीयता और रमणीयता के पुलकनकारी उदाहरण और आज के कवियों के लिए प्रकाश-स्तम्भ हैं। सम्मेलन के उपाध्यक्ष मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश’, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, महाकवि के पुत्र विजय वसुदत्त, प्रो सुशील कुमार झा, बच्चा ठाकुर तथा डा अर्चना त्रिपाठी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ महाकवि की पुत्र-वधु नम्रता मिश्र द्वारा, उनकी वाणी-वंदना ‘वाणी दो यही वरदान’ के सस्वर पाठ से हुआ। वरिष्ठ कवि राजमणि मिश्र, कवयित्री आराधना प्रसाद, रमेश कँवल, डा पूनम आनंद, सुनील कुमार दूबे, डा अमनोज गोवर्द्धनपुरी, लता प्रासर, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, सागरिका राय, डा जनार्दन सिंह, डा कुंदन लोहानी, मणिकान्त मणि, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’, विशाल कुमार, नीता सिन्हा, अर्जुन प्रसाद सिंह, अजित कुमार भारती ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर, समेत बड़ी संख्या में सुधी श्रोता उपस्थित थे। मंच का संचालन कुमार अनुपम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

हिन्दी पखवारा के अंतर्गत आज ‘कथा-कार्यशाला’ आयोजित हुई, जिसमें सुप्रसिद्ध कथाकार भगवती प्रसाद द्विवेदी, लघुकथाकार डा ध्रुव कुमार और सम्मेलन अध्यक्ष ने ‘कथा-लेखन’ हेतु नवकथाकारों को प्रशिक्षित किया। ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ के १०वें दिन शिविर के मुख्य आचार्य डा मुकेश कुमार ओझा ने संस्कृत में दिनचर्या-ज्ञान की शिक्षा दी और बताया कि किस प्रकार हम अपनी दिनचर्या को संस्कृत में बोल सकते हैं। इस अवसर पर, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, महेन्द्र शर्मा, बालकृष्ण उपाध्याय, निर्मला सिंह, रामाशीष ठाकुर, कुमार गौरव, विनोद विहारी शर्मा, चंद्रशेखर आज़ाद, अमन वर्मा, दुःखदमन सिंह, दिगम्बर जायसवाल, महफ़ूज़ आलम, डौली कुमारी, सदाबहार चिंटू कुशवाहा आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे। कल पखवारा के १२वें दिन, २ बजे से विद्यार्थियों के लिए ‘दोहा-पाठ-प्रतियोगिता’, ३ बजे से ‘संस्कृत संभाषण शिविर’ तथा ४ बजे से कवयित्री-सम्मेलन आयोजित होगी।

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