समाजसेवा के क्षेत्र में डा. नम्रता आनंद ने बनायी विशिष्ट पहचान

 समाजसेवा के क्षेत्र में डा. नम्रता आनंद ने बनायी विशिष्ट पहचान


शिक्षा-महिला सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है डा. नम्रता आनंद
मेहनत के बल पर कामयाबी की नयी इबारत लिखी डा. नम्रता आनद ने
पटना, 21 नवंबर राजकीय-राष्ट्रीय सम्मान से अंलकृत समाज सेविका-शिक्षिका डा. नम्रता आनंद ने संघर्ष और चुनौतियों का सामना कर कामयाबी का परचम लहराया है। बिहार के किशनगंज में तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा और रजनी वर्मा के आंगन में जन्मीं डा. नम्रता आनंद अपने पिता के आदर्शो और कर्तव्यनिष्ठा से बेहद प्रभावित है।

डा.नम्रता आनंद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहारशरीफ, बांका और सीतामढ़ी से पूरी की। सीतामढ़ी से कमला गर्ल्स हाई स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह आंखों में बड़े सपने लिये अपने परिवार के साथ राजधानी पटना आ गयी। महान समाजसेविका मदर टेरेसा के सामाजिक कार्यो से प्रभावित नम्रता आनंद जब महज 13 साल की थी तब उन्होंने अपने मुहल्ला चितकोहड़ा, विष्णुपुरी, कौशल नगर, मुर्गी बगीचा, यारपुर, मीठापुर, एक्सजिविशन रोड, कुरथौल में स्लम के गरीब बच्चों को नि.शुल्क शिक्षा देने का काम शुरू किया और बच्चों में शिक्षा का ज्योत जलाया।

अपने पाकेटमनी से वह उन स्लम के बच्चों के लिए कॉपी, किताब, पेंसिल और चॉकलेट्स लेकर जाती थी और पढ़ाती थी। नम्रता आनंद ने इस बीच अपनी पढाई जारी रखी। वर्ष 1998 में इंटरमीडियट की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने वर्ष 1999 में बच्चों को लेकर कार्यक्रम करने शुरू किये। इस बीच वर्ष 2001 में नम्रता आनंद ने बी.ए और वर्ष 2004 में उन्होंने एम.ए की पढ़ाई पूरी की।

वर्ष 2004 में नम्रता आनंद ने शादी की, हालांकि इसके बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। वर्ष 2004 में उन्होंने बी.एड और वर्ष 2005 में एम.एड और वर्ष 2007 -2014 में प्रो. डा. स्वर्गीय किरण कुमार मलतयार के निर्देशन में उन्होंने पी.एच.डी पूरी की और नम्रता आनंद , डा. नम्रता आनंद बन गयी। डा. नम्रता आनंद को भारत सरकार के केन्द्रीय चयन समिति ने वर्ष 2004 में राष्ट्रीय विकास और सामाजिक सेवा में किये गये उत्कृष्ठ कार्य के लिये स्वामी विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी के अवसर पर झारखंड के जमशेदपुर में राष्ट्रीय यूथ अवार्ड सम्मान से सम्मानित किया गया।

वर्ष 2006 में नम्रता आनंद के जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आया। उनके घर के आंगन में नन्हीं परी निरंतरा हर्षा का जन्म हुआ। वर्ष 2007 में डा. नम्रता आनंद मध्य विद्यालय सिपारा में बतौर शिक्षिका काम करने लगी। वर्ष 2008 में डा. नम्रता आनंद ने दीदीजी फाउंडेशन की नीवं रखी और महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर काम किया।

दीदीजी फाउंडेशन के बैनर तले उन्होंने जल जीवन हरियाली, बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओ, पर्यावरण, स्वच्छता, तंबाकू विरोधी अभियान, साक्षरता, रक्तदान, पल्स पोलिया प्रतिरक्षण ,कोरोना जागरूकता, महिला सशक्तीकरण , वरिष्ठ नागरिकों की सेवा, ट्रांसजेंडर्स के उत्थान, विकलांग लोगों के पुर्नवास समेत कई सामाजिक कार्य किये जिसके लिये उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली।

वर्ष 2010 में डा. नम्रता आनंद के आंगन में दूसरी नन्हीं परी नियति सौम्या का आगमन हुआ। इस बीच डा. नम्रता आनंद ने बिटिया डेयरी फार्म की भी शुरूआत की।वर्ष 2013 में डा. नम्रता आनंद की योग्यता को देखते हुये उन्हें फुलवारी ब्लॉक का संयोजक बनाया गया, जिसके अंतगर्त उन्हें 15 स्कूल के 2500 बच्चों के सर्वांगीण विकास का अवसर मिला।

वर्ष 2018 में डा. नम्रता आनंद ने पहल एक नयीं सोच कार्यक्रम के जरिये कालिदास रंगालय में बच्चों की प्रतिभा को पेश किया, जिसके लिये उन्हें काफी सराहना मिली।वर्ष 2019 में डा. नम्रता आनंद को माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की सर्वश्रेष्ठ 20 शिक्षकों में सम्मानित किया। वर्ष 2021 जनवरी में डा. नम्रता आनंद ने कालिदास रंगालय में बाल उड़ृान और राष्ट्रीय सम्मान का आयोजन किया, जिसके तहत देशभर से कई हस्तियों को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया।

वर्ष 2021 में डा. नम्रता आनंद अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ संगठन ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) से जुड़ गयी। काम के प्रति निष्ठा और समर्पण को देखते हुये उन्हें जीकेसी बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद डा. नम्रता आनंद को जीकेसी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया । साथ में सेवा कार्य एवं मानवाधिकार प्रकोष्ठ का प्रभारी नियुक्त किया गया है।

डा. नम्रता आनंद बक्सवाहा के जंगल को बचाने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।वर्ष 2021 में कोरोना महामारी में अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों के लिये मदद के लिये आगे आयी। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों के बीच 75000 से अधिक मास्क, सैनिटाइजर और साबुन का वितरण किया है।वर्ष 2020 में ही डा. नम्रता आनंद ने कुरथौल के फुलझड़ी गार्डेन में संस्कारशाला की स्थापना की।

संस्कारशाला के माध्यम से गरीब और स्लम एरिया के बच्चों का नि.शुल्क शिक्षा, संगीत, सिलाई-बुनाई, पेंटिंग और डांस का प्रशिक्षण दिया जाता है। डा. नम्रता आनंद को पटना विश्वविद्यालय और दरभंगा विश्वविद्यालय में गेस्ट फैक्लिटी के तौर पर चयन किया गया है। डा. नम्रता आनंद को उनके करियर के विस्मिल्ल खान सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान,कर्मयोगी महिला सम्मान, नारी रत्न अवार्ड, युवा सम्मान, छात्र सम्मान, राजीव गांधी समररसता अवार्ड बेस्ट वालिनटेयर अवार्ड ,एनएसएस, इंदिरा गांधी समरसता अवार्ड, अंतर्रार्ष्टीय समरसता यूनिटी गोल्ड मैडल, महिला शक्ति सम्मान स्वर्ण पदक, इंडो-नेपाल समरसता अवार्ड, इंडो-नेपाल एकता अवार्ड, समाज रत्न अवार्ड, काठमांडू-नेपाल अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड, स्वामी विवेकानंद अवार्ड, नेशनल प्राइड अवार्ड, लाल बहादुर शास्त्री सम्मान, सेवा रत्न सम्मान, कोरोना वारियर्स सम्मान, इंसपिरेशन वुमेन अवार्ड,शिक्षा विभूति सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण वारियर अवार्ड, वुमनिश अवार्ड,चित्रगुप्त सम्मान समेत कई प्रतिष्ठित अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

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