केन्द्रीय रेलवे रेल यात्री संघ के जिलाध्यक्ष को ट्रेन के दैनिक यात्रियों ने सामूहिक हस्ताक्षर कर ज्ञापन सौंपा
सीतामढ़ी /05 दिसंबर 2022: जानकी जन्म भूमि सीतामढ़ी से प्रतिदिन बैरगनिया, छोड़ादानों, रक्सौल आने जाने वाले व्यवसायी, कर्मचारी, विद्यार्थी व अन्य यात्रिगणों ने ट्रेन के समय सारणी में सुधार और लगातार विलम्ब से चलने को लेकर केन्द्रीय रेलवे रेल यात्री संघ सह कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया ट्रेडर्स (कैट), सीतामढ़ी के जिलाध्यक्ष राजेश कुमार सुन्दरका को बैठक के दौरान सामूहिक हस्ताक्षर के साथ ज्ञापन सौंपते हुए यात्रियों ने कहा कि सीतामढ़ी रक्सौल सीतामढ़ी के लिए छोटी लाईन थी तब आठ जोड़ी ट्रेन चलती थी, परन्तु सीतामढ़ी के यात्रियों के साथ दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि बढ़ती जनसंख्या और जरूरत के बाद अब चल रही पांच जोड़ी ट्रेन की भी समय सारिणी ऐसी है कि घर से सुबह साढ़े छह बजे निकलते हैं और लौटने में रात दस बज जाते हैं।
रक्सौल से सीतामढ़ी लौटने के लिए सुबह 12 बजे के पहले चार ट्रेन हैं और उसके बाद के सत्रह घंटों में मात्र एक ट्रेन संध्या में सवा छह बजे हैं। कुछ समय मेमू ट्रेन की रैक चली और फिर उसे हटा दिया गया, जिस कारण इंजन बदलने में एक घंटा लग जाता है। वहीं ट्रेन का विलम्ब से चलना सोने पे सुहागा है। एक महिला यात्री ने हाथ जोड़कर कहा कि आप ट्रेन की समय सारिणी सही करा दें नहीं तो मेरी गृहस्थी खराब हो जाएगी।
बैठक के अन्त में यात्रियों को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष राजेश कुमार सुन्दरका ने कहा कि आपकी मांग वाजिब है, रेलवे को ट्रेन की समय सारिणी स्थानीय जरूरतों के अनुसार तय करनी चाहिए न कि अपनी मनमर्जी से। प्रधानमंत्री समय से विकास को जोड़ते हुए वन्दे भारत ट्रेन चलाने पर जोड़ देते हैं, परन्तु यहां तो औसत स्पीड की बजाए नियमित रूप से ट्रेन विलम्ब से चल रही है। रक्सौल हो या दरभंगा या दानापुर सभी जगह जाने वाली ट्रेनों की समय सारिणी अव्यवहारिक है।
कार्य के समय के दुगुने समय घर से बाहर रहने के कारण स्वास्थ्य, मानसिक और घरेलू समस्या उत्पन्न होती है, जो महिलाओं के लिए और भी विकट स्थिति पैदा करती है। यह यात्रियों की सुरक्षा के साथ भी बड़ा खतरा है। रेलवे यात्रियों के लिए हैं न कि यात्री रेलवे के लिए। सुन्दरका ने कहा कि इस समस्या से संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु खेतान को भी अवगत कराएंगे।