माननीय कृषि मंत्री ने किया राज्यस्तरीय विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन

 माननीय कृषि मंत्री ने किया राज्यस्तरीय विश्व मृदा दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन

दिनांक 05-12-2022: माननीय मंत्री] कृषि विभाग] बिहार श्री कुमार सर्वजीत द्वारा आज विश्व मृदा दिवस के अवसर पर बामेती] पटना के सभागार में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। साथ ही] उनके द्वारा किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण भी किया गया।

माननीय मंत्री ने अपने सम्बोधन मेें कहा कि विगत कुछ वर्षों से हम लगातार मिट्टी का दोहन कर रहे हैं। एक तरफ सघन खेती करने के क्रम में हम रासायनिक खादों एवं रासायनिक दवाओं का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं] तो दूसरी तरफ मिट्टी के स्वास्थ्य के सुधार के लिए कोई उपाय नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज खेती करने के साथ-साथ मिट्टी का भी ख्याल रखते थे। उनकी सोच थी कि खेत की दशा में कैसे सुधार की जाए] जिससे उसकी उर्वरा-शक्ति बनी रहे। वे इसके लिए गोबर की खाद का प्रयोग] फसल अवशेष को खेत में पलटना] हरी खाद का प्रयोग] रबी फसल की कटाई के बाद खेतों की गहरी जुताई करना] फसल चक्र में दलहनी फसलों की खेती करना] खेत को एक फसल के बाद खाली छोड़ना आदि शष्य क्रिया करते थे।

उन्होंने कहा कि आज समय की माँग है कि कम-से-कम लागत में अधिक-से- अधिक गुणवत्तायुक्त पैदावार हो] जिससे किसानों को अधिक-से-अधिक आय प्राप्त हो सके। साथ ही] पौधों के पोषण हेतु मृदा का स्वास्थ्य तथा पर्यावरण संतुलन बना रहे। हमारे देश में मिट्टी जाँच की शुरूआत सन् 1955 ई॰ में 16 मिट्टी जाँच प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ हुई थी। वर्तमान में हमारे प्रदेश मेें जिला स्तर पर जिला मिट्टी जाँच प्रयोगशाला एवं कृषि विज्ञान केन्द्र] प्रमंडल स्तर पर चलंत मिट्टी जाँच प्रयोगशाला] साथ ही] मिट्टी जाँच की गुणवत्ता के नियंत्रण हेतु 3 रेफरल प्रयोगशाला कार्यरत हंै। मिट्टी नमूनों के संग्रहण की जवाबदेही प्रखंड में कार्यरत प्रखंड कृषि पदाधिकारी] कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार की है। एक हेक्टेयर के ग्रिड से 1 प्रतिनिधि नमूना लेकर प्रखंड से मिट्टी नमूना सीधे जिला स्थित जिला मिट्टी जाँच प्रयोगशाला में भेजी जाती है। मिट्टी नमूनों का विश्लेषणोपरांत ग्रिड के अंतर्गत आने वाले सभी कृषकों को उनके प्लाॅट के रकबा के अनुसार उर्वरक की अनुशंसा अंकित करते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाता है।

माननीय मंत्री ने बताया कि टिकाऊ खेती हेतु मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अनुशंसा के आलोक मेें संतुलित उर्वरक प्रयोग एवं उर्वरक उपयोग क्षमता को बढ़ावा दिया जा रहा है। तीन साल के चक्र में सभी कृषकांे को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है] ताकि मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर किसान अपने खेतों में लक्षित उपज हेतु संतुलित उर्वरक का प्रयोग कर सके। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कार्बनिक उर्वरक एवं जैव उर्वरक को शामिल करते हुए समेकित उर्वरता प्रबंधन को बढ़ावा दिया जा रहा है। डिजिटल स्वायल फर्टिलिटी मैप तैयार किया जा रहा है। सभी क्षेत्रों में एक समान तरीके से मिट्टी नमूना संग्रहण को सुनिश्चित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022&23 में कुल 5 लाख मिट्टी नमूनों की जाँच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है] जिसमें अब तक 4]99]845 मिट्टी नमूना प्रयोगशाला को प्राप्त हो चुका है। अब तक 3]24]112 मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों के बीच वितरित किया जा चुका है। वित्तीय वर्ष 2015&16 से वित्तीय वर्ष 2021&22 तक कुल 1]38]04]428 मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को उपलब्ध कराया जा चुका है। आगामी वर्षों में और अधिक किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा। कृषि विभाग] किसान को उसकी प्रत्येक जोत के लिए एक मृदा स्वास्थ्य कार्ड देती है। यह एक मुद्रित रिपोर्ट है] जिसमें 12 मापदंडों से संबंधित किसानों के जोत की मिट्टी के पोषक तत्वों की स्थिति होती है।

श्री कुमार ने कहा कि इस अवसर पर हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि सभी किसानों को जागरूक करें कि वे अपने खेतों में संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें] न कि अंधाधुंध उर्वरक एवं रासायनिक दवाओं का प्रयोग करें। यदि मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा] तभी हमारा स्वास्थ्य ठीक रहेगा। उन्होंने किसानों से अपील किया कि हमारे पूर्वजों के द्वारा जो परम्परागत कृषि पद्धति अपनायी जाती थी] उसी प्रकार पशुपालन] हरी खाद का प्रयोग] गोबर की खाद का प्रयोग करें] ताकि खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे।

सचिव] कृषि विभाग डाॅ॰ एन॰ सरवण कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले कृषि अनुसंधान के लिए जगह तलाश की जा रही थी। जलवायु एवं मिट्टी के अनुसार बिहार के पूसा] समस्तीपुर को इसके लिए उपयुक्त पाया गया। यही पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना की गयी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022&23 में अभी तक कृषि यांत्रिकरण योजना के अंतर्गत 600 फसल अवशेष प्रबंधन संबंधित कृषि यंत्र किसानों को अनुदानित दर पर उपलब्ध कराया गया है। वर्ष 2019 से अब तक फसल अवशेष जलाने वाले 6]295 किसानों को कृषि विभाग की योजनाओं के अंतर्गत दिये जाने वाले लाभ से तीन वर्षांे के लिए वंचित रखने हेतु उनके डी॰बी॰टी॰ को ब्लाॅक किया गया है।

इस अवसर पर कृषि विभाग के विषेष सचिव श्री रवीन्द्रनाथ राय] कृषि निदेशक डाॅ॰ आदित्य प्रकाश] निदेशक] उद्यान श्री नन्द किशोर] अपर निदेशक (शष्य) श्री धनंजयपति त्रिपाठी] निदेषक] बसोका श्री सुनील कुमार पंकज] निदेशक] भूमि संरक्षण श्री बैंकटेष नारायण सिंह] निदेशक] बामेती श्री आभांशु सी॰ जैन] संयुक्त निदेशक (रसायन) ] मिट्टी जाँच प्रयोगशाला] श्री कृष्णकांत झा] जिला कृषि पदाधिकारी, पटना श्री विभु विद्यार्थी सहित विभागीय अन्य पदाधिकारी तथा पटना जिला के विभिन्न प्रखण्डों के किसानगण उपस्थित थे।

संबंधित खबर -