नीतीश कुमार की ड्रीम प्रोजेक्ट जनगणना को हरी झंडी ! -प्रसिद्ध यादव

 नीतीश कुमार की ड्रीम प्रोजेक्ट जनगणना को हरी झंडी ! -प्रसिद्ध यादव

रिट याचिका अब लोकहित न होकर राजनीति से प्रेरित हो गई है। कानून का हथियार बनाकर सरकारी कामों में रुकावट पैदा करना और जनहित कार्यों में रुकावट पैदा करना हीं ज्यादा मक़सद रह गया है। जब बिहार में जनगणना पर रोक लगी तो कुछ तथाकथित विद्वानों का प्रवचन और ज्ञान अद्भुत था। लालू यादव शुरू से ही पक्षधर थे, वे कहते थे कि जब गाय, बकरी,सुअर की गिनती हो सकती है तो आदमी की जाती की गिनती क्यों नहीं?  यही जातीय जनगणना नीतीश कुमार को एनडीए से अलग होकर राजद के साथ आने के लिए मजबूर कर दिया था।

इस जनगणना का साइड इफेक्ट ही है कि भाजपा को विचलित कर दिया है। भारी मन से भाजपा भी इसका समर्थन कर रही है।  जातीय जनगणना, सर्वे होने से भाजपा क्यों भयभीत है?  इससे सारी पोल खुलने का भय है। राज्य के संसाधनों , राजनीति पद पर,बीयूरोक्रेसी पर कौन कितना कुंडली मार के बैठा है? वंचित समाज को अपने संख्या बल का एहसास होगा और अब तक दूसरों की पालकी ढोने वाले, बर्तन बासन साफ करने वाले, झाड़ू पोछा लगाने वाले, घर घर दूध, सब्जी ,अनाज पहुंचाने वाले को अपनी ताक़त का एहसास होगा।

इसका सारा श्रेय नीतीश, लालू को जायेगा।जब सारा श्रेय इन्हें जाएगा तो राजनीति का परसाद दूसरों को कैसे मिलेगा ?  लालू यादव  व नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से भी कई बार देश में जातीय जनगणना करवाने की मांग कर चुके हैं लेकिन भाजपा आ बैल मुझे मार की कहावत चरितार्थ करना नहीं चाहती है।पटना हाईकोर्ट ने सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने इसे सर्वे की तरह कराने की मंजूरी दे दी है। जल्दी ही बिहार सरकार फिर से जातीय जन-जनगणना शुरू करवाएगी।

हालांकि कोर्ट के इस फैसले से याचिकाकर्ता नाखुश हैं। उनका कहना है कि अब वह इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इधर, हाईकोर्ट के आदेश के बाद बिहार सरकार ने फिर से जाति जनगणना शुरू कराने का एक आदेश जारी किया। इसमें लिखा है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद सभी जिलों के डीएम को जाति आधारित गणना फिर से शुरू करने के दिशा-निर्देश दिया जाता है। रिट याचिका कर्ता को नींद नहीं आ रही है और फिर कोई नया तिकड़म करने का प्रयास करेगा तब तक बिहार सरकार अपने मकसद में कामयाब हो जाएगी।

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