बिहार में सरकारी स्कूलों की स्थिति पर ज्यां द्रेज ने किया सर्वे, स्कूल के टाइम में ट्यूशन बंद रखने के निर्णय पर केके पाठक की तारीफ
विश्व विख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने जन जागरण शक्ति संगठन का निर्देशन करते हुए बिहार में सरकारी स्कूलों की स्थिति पर सर्वे किया। इस सर्वे में कई सारी चीज़ें निकलकर सामने आई। पत्रकार से बातचीत के दौरान ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार के सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत ही दयनीय है। सरकार को इसपर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए जा रहे फैसले की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि 30 बच्चों के लिए एक अध्यापक होना ही चाहिए।
उन्होंने बताया कि यह सर्वे रिपोर्ट अररिया और कटिहार के सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की है। इस सर्वे में ये समझ में आया कि बिहार में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ का उल्लंघन हो रहा है। इन 81 स्कूलों में किए गए सर्वे में से एक भी ऐसा स्कूल नहीं है, जिसमें शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन हो रहा है। कहीं शिक्षकों की कमी है, कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, तो कहीं पढ़ाई नहीं हो रही है।
इस सर्वे से सबसे चिंताजनक चीज सामने आई है वो यह है कि सर्वे के दिन केवल 20% बच्चे ही उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि हमने कहीं नहीं देखा कि बच्चों की उपस्थिति इतनी कम होती है। इसके कई सारे कारण हो सकते हैं जैसे कोविड-19 का प्रभाव हो सकता है, जिसके कारण बच्चों में स्कूल जाने का आदत छूट गया है। दूसरा स्कूल में पढ़ाई नहीं होती, इसलिए पढ़ाई से बच्चों की रुचि हटते जा रही है और तीसरा ये की स्कूल के समय पर प्राइवेट ट्यूशन होते हैं और बच्चे प्राइवेट ट्यूशन की ओर ज्यादा जाते हैं।
इसी दौरान ज्यां द्रेज ने बिहार के शिक्षा विभाग के अपर प्रमुख सचिव केके पाठक द्वारा लिए जा रहे फैसले की सराहना की है। उन्होंने कहा कि स्कूल के समय प्राइवेट ट्यूशन नहीं चलाने का जो फैसला लिया गया है, वह बहुत ही अच्छा कदम है, लेकिन बिहार में सरकारी स्कूलों की स्थिति को बदलने के लिए और भी कदम उठाने की जरूरत है।