इस तरह पहचानें मोती असली है या नकली, जानें कैसे धारण करें चंद्रमा का रत्न

 इस तरह पहचानें मोती असली है या नकली, जानें कैसे धारण करें चंद्रमा का रत्न

ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के कई कष्टों का निवारण बताया गया है। व्यक्ति के जीवन में जितनी भी परेशानियां आती हैं उन सभी का संबंध नवग्रहों से माना जाता है। इन ग्रहों के रत्नों को धारण करने से मनुष्य का शारीरिक सौंदर्य तो बढ़ता ही है साथ ही अलग-अलग समस्याओं का निवारण भी होता है। रत्नों में लोग सबसे ज्यादा मोती रत्न को पहने देखा जा सकता है। तो चलिए ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री से जानते हैं कि मोती किया है और कैसे पहचानें कि मोती असली है या नकली।

मोती क्या है?

मोती चंद्रमा का रत्न है। यह चिकना, चमकदार और दुधिया रंग का होता है। अगर कोई व्यक्ति इस रत्न को धारण करता है तो बेहद फलदायी होता है। जातक की कुंडली में अगर चंद्र का शुभ प्रभाव हो तो मोति को अवश्य धारण करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र मनुष्य के मन को दर्शाता है। साथ ही चंद्र का प्रभाव पूरी तरह से मनुष्य की सोच पर पड़ता है। अगर आप मन की स्थिरता को बनाए रखना चाहते हैं तो यह मोती धारण करना आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। इस रत्न को अगर जातक धारण करता है तो मां के परिवार से अच्छे संबंध रहते हैं। वहीं, लाभ भी मिलता है। इससे आत्मविश्वास में वृद्धि भी होती है। साथ ही यह मोती ब्लड प्रेशर, शुगर, मूत्राशय के रोग आदि को भी नियंत्रित करता है।

मोती असली है या नकली?

अगर आप किसी रत्न को धारण कर रहे हैं तो आपको पहले यह पता लगा लेना चाहिए कि रत्न असली है नकली। यह जानने के लिए मोती को गौमूत्र में 24 घंटे तक डुबो कर रखें। अगर इस दौरान मोती का रंग बदल जाए या उसकी चमक फीकी पड़ जाए तो समझ लें की मोती नकली है। लेकिन अगर मोती का रंग बरकरार है तो समझ जाएं कि मोती असली है। इसके अलावा टूटा-फूटा, चटका, दागदार, धब्बेदार, रक्त या ताम्रवर्णी मोती धारण करना भी हानिकारिक सिद्ध हो सकता है। इससे जीवन में परेशानियां आ सकती हैं।

जानें कैसे धारण करें मोती:

अगर आपकी कुंडली में चंद्र की दिशा स्थिति सही है और आपको किसी विद्वान ने मोती धारण करने की सलाह दी है तो आप मोती धारण कर सकते हैं। आपको 4 से 6 रत्ती के मोती पहनना होगा। इस मोती को आपको चांदी की अंगूठी में जड़वाना होगा। इसे पहनने के लिए किसी भी शुक्लपक्ष का पहला सोमवार उचित समय है। इस दिन सूर्य उदय के बाद अंगूठी को दूध, गंगा जल, शक्कर और शहद के घोल में डाल दें। उसके बाद चंद्रदेव के नाम की धूप जलाएं और प्रार्थना करें कि

हे! चंद्रदेव, मैं आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मोती रत्न धारण कर रहा हूँ। कृपा आप मुझे आपना आशीर्वाद प्रदान करें।

इसके बाद अंगूठी निकालकर ॐ सों सोमाय नम: का 108 बार जाप करें। फिर अंगूठी को अगरबत्ती के ऊपर से घुमाएं। फिर मंत्र के पश्चात् अंगूठी को शिवजी के चरणों से लगाकर कनिष्टिका ऊंगली में धारण करे!

अंगूठी धारण करने का मन्त्र:

“ॐ इमं देवा असपत्नं सुवध्यं महते क्षत्राय महते ज्यैष्ठ्याय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय। इमममुष्य पुत्रममुष्ये पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्माकं ब्राह्मणानां राजा।।”

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