नीतीश सरकार द्वारा जारी जाति-आधारित सर्वेक्षण रिपोर्ट पर ट्रांसजेंडर समुदाय ने जताई नाराजगी, जानें क्यों ?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जाति-आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की I इस तरह का आंकड़ा जारी करने वाला देश का पहला राज्य बन गया बिहार, लेकिन राज्य के ट्रांसजेंडर समुदाय ने सर्वे रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है I आंकड़ों को लेकर सवाल उठाए गए हैं I ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद ने बिहार सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट को फर्जी करार दिया और दावा किया कि गणना प्रक्रिया के दौरान उनसे ब्योरा नहीं लिया गया I
आपको बता दें रेशमा ने कहा, ”रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार सरकार का दावा है कि ट्रांसजेंडर लोगों की आबादी केवल 825 है, जबकि 2011 की जनगणना में हमारी आबादी 42,000 से अधिक थी I सर्वेक्षण अधिकारियों ने बिहार में सभी ट्रांसजेंडरों की पहचान नहीं की I मेरी तो गिनती भी नहीं हुई, किसी ने मुझसे मेरी जाति के बारे में नहीं पूछा I”
उन्होंने कहा, “तीसरे लिंग का उल्लेख कॉलम संख्या 22 में किया गया है, जो कहता है कि कुल जनसंख्या सिर्फ 825 है और प्रतिशत 0.0006 है I ये बिल्कुल फर्जी है I यदि वे वास्तविक संख्या जानना चाहते हैं, तो उन्हें पटना जंक्शन, रेलवे स्टेशन और टोल प्लाजा पर जाना चाहिए I“ रेशमा ने कहा, “चूंकि उन्होंने मेरा सर्वेक्षण नहीं किया है, इसलिए मैंने पहले ही पटना उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दी है I बिहार सरकार ने हमारे साथ अन्याय किया है I” उन्होंने कहा, ”ट्रांसजेंडर लोग शुभ अवसरों पर लोगों को आशीर्वाद देते हैं, अगर उनके साथ अन्याय होता है, तो वे शाप देते हैं I