झुग्गियों में रहने वाली राजकुमारी व ज़ैनब खातून ने देश का नाम रौशन की
ज़ैनब खातून को बचपन में बुखार लगने पर इंजेक्शन लेने पर पैर काम करना बंद कर दिया था और वे दिव्यांग हो गई थी।इन्होंने 79 किग्रा, 82 किग्रा और प्रभावशाली 85 किग्रा वजन सफलतापूर्वक उठाकर अविश्वसनीय ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया और रजत पदक हासिल किया।
आपको बता दें उनका दृढ़ प्रदर्शन उत्कृष्टता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। राजकुमारी झुग्गियों में पलने वाली बचपन में पोलियो और 18 वर्ष की उम्र सड़क दुर्घटना हो गई थी। दिल्ली की तंग बस्तियों में रहने देश का नाम रौशन की।
मालूम हो कि इनको दो असफल प्रयासों के साथ शुरुआती चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी ताकत जुटाकर 84 किग्रा भार उठाया और इस स्पर्धा में कांस्य पदक अर्जित किया।