मशरूम उत्पादन स्वाद तथा स्वास्थ्य रक्षा के साथ ही आत्मनिर्भरता का महत्वपूर्ण जरिया : डा चौरसिया

 मशरूम उत्पादन स्वाद तथा स्वास्थ्य रक्षा के साथ ही आत्मनिर्भरता का महत्वपूर्ण जरिया : डा चौरसिया

सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया सामाजिक उत्थान एवं प्रशिक्षण संस्थान, बहादुरपुर प्रखंड केंपस, दरभंगा के तत्वावधान में दरभंगा के बेलादुल्ला, वार्ड नंबर- 3 में आज से 10 दिवसीय मशरूम- प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया है, जिसमें दरभंगा जिला के 35 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में विशेष रूप से महिलाएं, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक तथा पिछड़ी जाति के व्यक्तियों के साथ ही सामान्य लोग भी शामिल हैं। मुख्य अतिथि के रूप में प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सेंट- आरसेटी, दरभंगा की फैकल्टी नीतू कुमारी ने दरभंगा के लीड बैंक सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के विभिन्न प्रशिक्षणों के महत्वों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि ये प्रशिक्षण स्वरोजगार एवं आर्थिक स्वावलंबन हेतु महत्वपूर्ण हैं।

मशरूम प्रशिक्षण में भाग लेने वालों को एक सहभागिता प्रमाण पत्र तथा प्रशिक्षण के अंतिम दिन आयोजित परीक्षा में सफल व्यक्ति को दूसरा प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा, जिसका पूरे भारतवर्ष में मान्यता रहेगा। इसके आधार पर अपना व्यवसाय करने वाले अनुसूचित जाति को 75% तक सब्सिडरी युक्त ऋण तथा सामान्य जातियों को भी 50% सब्सिडी के साथ सरकार द्वारा ऋण दिया जाता है। उन्होंने बड़े स्तर पर अपने व्यवसाय को प्रारंभ करने वालों को उसका इंश्योरेंस करने की सलाह देते हुए मशरूम- उत्पादन की महत्ता को रेखांकित किया। मशरूम- प्रशिक्षिका प्रतिभा झा ने कहा कि इस 10 दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण में सैद्धांतिक जानकारी से अधिक व्यावहारिक जानकारी देने पर जोर दिया जाएगा, ताकि मशरूम उत्पादन करने वालों को किसी प्रकार की कठिनाई न हो। प्रशिक्षण का उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना है।

उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती कम लागत में आसानी से की जाती है। जैसे- जैसे लोग जागरुक हो रहे हैं, वैसे- वैसे समाज में मशरूम का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसकी खेती खेतों में नहीं, बल्कि झोपड़ी या घरों में भी की जा सकती है। अध्यक्षीय संबोधन में प्रशिक्षण के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि मशरूम उत्पादन स्वाद तथा स्वास्थ्य रक्षा के साथ ही आत्मनिर्भरता का महत्वपूर्ण जरिया हो सकता है। इसके उत्पादन तथा व्यापार के लिए समुचित प्रशिक्षण अनिवार्य है। मशरूम का उपयोग सब्जी, दवाई, अचार, सूप, चटनी तथा मुरब्बा आदि के रूप में होता है। आजकल इसका प्रयोग दवाई के रूप में भी तेजी से हो रहा है। यह शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को मजबूत बनाता है तथा हृदयरोगी, डायबिटीज, मोटापा तथा कैंसर रोगी के लिए काफी लाभदायक है।

उन्होंने बताया कि मशरूम प्रोटीन, विटामिन्स, फाइबर, पोटाश, कॉपर तथा आयरन आदि से भरपूर होता है। दशरथ ठाकुर के संचालन में आयोजित उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत विज्ञान- शिक्षिका डा अंजू कुमारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डा महेंद्र लाल दास ने कहा कि मशरूम उत्पादन हमारे स्वाभिमान का प्रतीक हो सकता है इसमें रोजी- रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। प्रशिक्षण में अंकित मिश्रा, प्रशांत कुमार झा, पप्पू कुमार यादव, उमदा कुमारी, मुकेश कुमार झा, पंकज कुमार, खुशबू कुमारी, रितु कुमारी, शशि रंजन, शिवानी कुमारी, रेणु कुमारी, श्याम सुंदर पासवान, गणेश पासवान, ओम प्रकाश अमित कुमार, चांदनी कुमारी, त्रिपुरारी कुमार झा, अरविंद कुमार, ममता कुमारी, जय कृष्ण यादव, अरुण कुमार चौधरी, प्रमोद कुमार यादव, कौशल कुमार, प्रणव नारायण, नजिरुल होदा, अंगित कुमार यादव, लक्ष्मी झा, नेहा कुमारी, बिजेंद्र प्रताप सिंह, मो जावेद अख्तर, कौशल कुमार, विजेन्द्र कुमार, अकरम खान, शगुफ्ता प्रवीण, दुर्गानंद यादव तथा राम सजीवन कुमार आदि ने भाग लिया।

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