पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बाबू के 15वें पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि

 पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बाबू के 15वें पुण्यतिथि पर दी गई श्रद्धांजलि

कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ ट्रेड यूनियंस एंड एसोसिएशन जिला कमेटी दरभंगा के द्वारा मार्क्सवादी चिंतक एवं पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बाबू के 15वी पुण्यतिथि पर कर्मचारी विश्रामगृह के प्रांगण में उनके छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया गया।

इस अवसर पर दिनेश झा की अध्यक्षता में बैठक आयोजित किया गया। कोऑर्डिनेशन कमेटी के जिला संयोजक फूल कुमार झा ने कहा कि ज्योति बाबू पश्चिम बंगाल सरकार के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे। उनके द्वारा पश्चिम बंगाल में भूमि सुधार कर कृतिमान स्थापित किया गया, वे रेलवे एवं जूट मिल के मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए संसदीय राजनीति में प्रवेश करते हुऐ कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने। वर्ष 1964 में सीपीएम के पोलित ब्यूरो सदस्य बने। वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री बनते ही राज्य कर्मियों को हड़ताल का अधिकार दिया, ज्योति बाबू वर्ष 2000 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे। बिरले मुख्यमंत्री ही स्वेक्षा से मुख्यमंत्री का पद छोड़ते हैं जिसमें ज्योति बाबू का नाम अंकित है।

ज्योति बाबू केंद्रीय ट्रेड यूनियन सीटू के लंबे अवधि तक उपाध्यक्ष निर्वाचित होते रहे। वर्ष 1996 में लोकसभा निर्वाचन के बाद सर्वसम्मत से भारत के प्रधानमंत्री के पद के लिए निर्वाचित हुए परंतु सैद्धांतिक कारणों से उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया था। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार चौधरी ने कहा कि स्वर्गीय ज्योति बाबू वंचित गरीब बेसहारा किसान मजदूर एवं छात्र के अधिकारों का संरक्षण के लिए सदैव संघर्ष करते रहे। आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ के राज्य उपाध्यक्ष शमशाद बेगम ने कहा कि ज्योति बाबू महिलाओं के हितों की रक्षा की तथा महिला उत्थान पर कार्य किया।

इस अवसर पर विजय कुमार सिंह अरविंद कुमार राय, पर्णव कुमार झा, मोबशशीर अल्ताफ, फकीरा पासवान, ताराकांत पाठक, अश्वनी कुमार झा, वीरेंद्र कुमार पासवान, बेचन राम एवं बैद्यनाथ झा, शिक्षक नेता राजकुमार पासवान, नंदन कुमार सिंह सी टू के नेता अजीत पासवान एवं गौतम कुमार आदि ने विचार रखते हुए कहा कि ज्योति बाबू हमारे लिए एक शिक्षक थे। उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लेता हूं ताकि शोषित पीड़ित श्रमिकों का कल्याण हो सके।

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