नीतीश को नहीं, BJP को थी JDU की जरूरत, जानें क्या थी मजबूरी….?

 नीतीश को नहीं, BJP को थी JDU की जरूरत, जानें क्या थी मजबूरी….?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने RJD का साथ छोड़ BJP के नेतृत्व वाले NDA का हाथ थाम लिया । उन्होंने 9वीं बार सीएम पद की शपथ ली और एक बार फिर बीजेपी-एनडीए के साथ ही बने रहने का दावा किया । नीतीश कुमार ने कहा, ‘जहां थे वहीं आ गए अब इधर-उधर जाने का सवाल ही नहीं’ ।

आपको बता दें बिहार में कास्ट पॉलिटिक्स कितनी अहम है ये तो सभी को पता है । राज्य में 30 फीसदी आबादी ईबीसी यानी ‘एक्स्ट्रीमली बैकवर्ड क्लास’ की है । इन ईबीसी जातियों में कुर्मी, निषाद, कोयरी, नाई, तेली जैसी जातियां आती हैं और इन जातियों के लोग ज्यादातर नीतीश कुमार की पार्टी को ही अपना वोट देते हैं । भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में हर हाल में इस वोट बैंक को साधना चाहती है ।

बिहार की राजनीति में इतना बड़ा बदलाव तब हुआ जब अगले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं । कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिहार में भारतीय जनता पार्टी की ओर से किए गए आंतरिक सर्वे में लोकसभा चुनाव को लेकर बहुत अच्छा फीडबैक नहीं मिल रहा था । वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस चुनाव में पिछले कार्यकाल से ज्यादा बड़ी जीत चाहते हैं और उनके इस लक्ष्य को पूरा करने के रास्ते में बिहार और महाराष्ट्र का समीकरण रोड़ा बन सकता था ।

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