होली से पहले हुल्लास कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
सिल्वर साइन स्कूल महेन्द्रा इंकलैब शास्त्री नगर गाजियावाद में श्री महर्शि वेद् व्यास वेद् विद्यापीठ के सौजन्य में हुल्लास कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया ।जिसका उद्घाटन माननीय नरेन्द्र कश्यप राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश ने किया तथा व मुख्य संयोजक आचार्य योगेश दत्त गौड़ ,डॉक्टर मिथिलेश शर्मा ,श्री सुनील त्यागी,श्री मनोज नागर,श्री वी के शर्मा हनुमान ,श्री छोटे लाल कनौजिया राज्य मंत्री प्रतिनिधि सौरभ जयसवाल सुभाष गुप्ता अमित त्यागी पूर्व पार्षद अर्चना सिंह कुवरपाल सिंह राहुल तोमर चरेश्वरभगत हरेराम यादव वेभव चमनलाल रमेश चौहान निशा गर्ग वदना लखनपाल अरुण अग्रवाल कमल शर्मासहित अनेक् गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया I
तथा मंच से डॉक्टर जयप्रकाश मिश्र रचित “आज नहीं तो कल “मुक्तक संग्रह का लोकार्पण किया गया।कवि सम्मेलन का शुभारंभ आचार्य संजीव रूप की सरस्वती वंदना से हुआ। कवि सम्मेलन के ओपनार सरधना मेरठ से पधारे संजय जैन के गीत भगवा पर लोगों खड़े होकर तालियाँ बजायीं व एक बार और _एक बार और के साथ कई बार सुना गया।इसके साथ ही उनकी इन पंक्तियों को बहुत बाह बाही मिली_
मन भगवा है मेरा तन भगवा है मेरा
भानु के प्रकाश का भी रंग भगवा है जी।
अग्नि भी भगवा सी किरणें भी भगवा सी
त्याग बलिदान का भी रंग भगवा है जी।।
तत्पश्चात बलराम पुर से पधारे युवा कवि दीपक “दीप,” ने श्रोताओं की बाह बाही लूटते हुए कुछ इस अंदाज मे प्रस्तुति दी ,_
चांद तारे भी लाए तुम्हारे लिए
ख्वाब मैंने सजाए तुम्हारे लिए
तोड़ने की तुम्हारी जो आदत बुरी
सौप दिल रो चले हम तुम्हारे लिए
उत्तराखण्ड के रुडकी से पधारे ओजस्वी शिखर डॉक्टर विनय प्रताप ने अपनी रचनाओ से श्रोताओं मे भरपूर ओज का संचार किया।तथा मोहक प्रस्तुति देते हुए कहा,_
जन-जन के प्यारे हैंबसते तन-मन में
प्रभु राम हमारे हैं।
जग करता अभिनंदनअवधपुरी में फिर
मुस्काए रघुनंदन।।
श्रोताओं में हास्य की फुलझड़ी बिखेरते हुए बनारस से पधारे कवि विनोद पांडेय ने जब रचना पढ़ी तो श्रोता बरबस कुर्सियों से उछलने लगे उन्होने कुछ इस अंदाज में प्रस्तुति दी_
अगर हम बेचते सपने तो लायक बन गए होते।
अदाकारी दिखाते गर तो नायक बन गए होते।
यहां वादाखिलाफी पर कहा है बेवफा तुमने
सियासत में अगर होते विधायक बन गए होते।।
मुरादाबाद से पधारे व्यस्ततम कवि डॉक्टर प्रवीण राही ने अपनी दमदार प्रस्तुति देते हुए कहा_
जो बंदे इधर से उधर जा रहे थे।
सबब मैने पूछा तो हकला रहे थे।
करे गर्व कैसे न उन सैनिकों पे
तिरंगे में लिपटे जो घर जा रहे थे।।
मुरादबाद् से पधारी सुमधुर् कवयित्री डॉक्टर अंजू सिंह ने श्रोताओं के कानों में मधुरस घोलते हुए शानदार प्रस्तुति देते हुए देते हुए कहा_
ये मत समझिए बड़े घरों में गमों का मारा कोई नहीं है।
यहां भिखारी भी भीख लेने गया दुबारा कोई नहीं है।
है जिनके हाथों में भाग्य रेखा वही हैं सब क्या नसीब वाले
बे हाथ वालों के नसीब का क्या गगन में तारा कोई नहीं है ।।
बदायूँ से पधारे आध्यात्मिक कवि आचार्य संजीव रूप ने अपनी ओजस्वी
व आध्यात्मिक कविताओं से ऐसा रंग बिखेरा कि श्रोता गण होली से पहले अध्यात्मिक रंगों से नहाते नजर आ रहे थे।
कविसम्मेलन का सफल संचालन कर रहे हास्य कवि डॉक्टर जयप्रकाश मिश्र ने कुछ इस अंदाज में प्रस्तुति दी_
फर्क नहीं पडता है कोई झूठे अश्क़ वहाने से।
भाव नहीं हो जिसमें कोई ऐसा गीत सुनाने से।
बात कहो तो पत्थर जैसी जो दिल को छलनी कर दे।
तीर वही संधान करो जो चूके नहीं निशाने से।।
गाजियाबाद की पहचान बन चुके बरिष्ठ शायर राज कौशिक ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध करते हुए कुछ इस अंदाज में प्रस्तुति दी_
सौ बहाने हैं जहां पर तो रुलाने के लिए
इक बहाना ढूंढ लो हँसने हँसाने के लिए
शौहरतों की ख्वाहिशों का ये तमाशा खूब है
लोग पंजों पर खड़े हैं क़द बढ़ाने के लिए।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ ओजस्वी शिखर डॉक्टर वागीश दिनकर की कविताओं को पूरे जोश के साथ सुना गया।अपनी दमदार प्रस्तुति देते हुए कहा_
ईर्श्या-कटुता-घृणा की होलियां अब जलेंगी ही।
स्नेह -समता की गुलाली गोलियां अब घुलेंगी ही।
सुखद होलीपर्व हम गर्व से अब यह कहेंगे
एक मां के पुत्र हमसब प्रेम से मिलकर रहेंगे।
मध्य रात्रि तक चले कवि सम्मेलन को अपनी प्रस्तुति के कारण लम्बे समय ताज याद रखा जायेगा ।मुख्य संयोजक आचार्य योगेश दत्त गौड़ ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया तथा भोजन के पश्चात कवि सम्मेलन का समापन हुआ I