औरंगाबाद में ई ओ ने बना दी सरकारी स्कूल की अनूठी पहचान
औरंगाबाद( बुलंदशहर ) अगर कोई व्यक्ति मेहनत पूरे मनोयोग पूर्वक और दृढ़ संकल्पित होकर किसी भी कार्य में जुट जाये तो असंभव को भी संभव होने से कोई भी नहीं रोक सकता। स्वयं ईश्वर भी उसकी सहायता और संकल्प को पूरा करने के लिए नीचे उतर आते हैं। ठीक यही हुआ औरंगाबाद नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर के साथ जब उन्होंने स्याना नगर पालिका के विद्यालय की कायाकल्प करने का बीड़ा उठाया।
गौरतलब है कि सेवा राम राजभर स्याना नगर पालिका के साथ साथ औरंगाबाद नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी का कार्यभार भी अतिरिक्त के तौर पर संभाले हुए हैं। लगभग एक वर्ष पूर्व नगर पालिका स्याना का स्कूल देख राजभर ने उसके विषय में व्याप्त लोगों की धारणा को बदलने की ठानी। उन्होंने कार्य योजना बना कर जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह को अपनी स्वीकृति देने के लिए भेजी। जिलाधिकारी ने प्रस्तावित योजना को ना केवल झटपट अपनी स्वीकृति दे हरी झंडी दिखाई बल्कि जिले के अन्य विद्यालयों में भी इसी योजना की तर्ज़ पर काम करने के निर्देश दिए।
राजभर की कार्यशैली और लगन शीलता के चलते वर्तमान में इस विद्यालय में तमाम सुविधाएं किसी भी प्राइवेट पब्लिक स्कूल से कम नहीं हैं। एक अच्छा पुस्तकालय , स्मार्ट क्लासें, प्रशिक्षण केन्द्र,वाटर कूलर,वाटर रिचार्ज प्रणाली प्रकाश व्यवस्था छायादार वृक्ष और प्रदूषण मुक्त वातावरण इस विद्यालय की नयी पहचान तो बन ही गई है बल्कि समूचे जिले भर के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन चुका है। कहना उचित होगा कि स्याना के इस सरकारी स्कूल की दशा अभिभावकों को अपने बच्चों को इसी स्कूल में दाखिल कराने के लिए निरंतर उकसाती नजर आ रही है। पहले इस स्कूल में बच्चे आने से भी कतराते थे आज माहौल पूरी तरह बदल चुका है यहां के बच्चों के चेहरे खुशी और आत्म विश्वास से भरपूर नज़र आते हैं। उल्लेखनीय है कि कायाकल्प से पहले इस स्कूल में मात्र 143बच्चे ही पंजीकृत थे आज इस स्कूल में बच्चों की संख्या 350 तक पहुंच चुकी है।
ऐसा नहीं है कि राजभर ने स्कूल का कायाकल्प करने के बाद अपना दायित्व पूरा मान लिया है वे समय समय पर स्कूल का गहन निरीक्षण कर सारी व्यवस्थाओं पर कड़ी निगरानी बनाये हुए हैं। उन्होंने बताया कि गरीब बच्चों के चेहरों पर मुस्कान देखकर सरकारी नौकरी में आने की आत्मिक सुख शांति की अनुभूति होती है। शिक्षा सभी उन्नतियों की मूल कारक होती है। सभी बच्चों को समान रूप से अमीर बच्चों की भांति शिक्षा मिले यही उनका एक मात्र ध्येय है। बच्चे बहुयामी शिक्षा ग्रहण करें तो तरक्की और मान सम्मान के रास्ते खुद ब खुद खुलते चले जायेंगे। और उनके प्रयासों से यदि एक भी बच्चे का जीवन सफल हो जाता है तो वह अपने आप को धन्य महसूस करेंगे I