पटना हाईकोर्ट का निगरानी ब्यूरो को निर्देश, इन शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जारी रहेगी जांच
पटना हाई कोर्ट ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त शिक्षकों के सर्टिफिकेट जांच के मामले पर अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि जहां भी जांच आगे बढ़ी है और जालसाजी या धोखाधड़ी का पता चला है, वहां उचित कार्रवाई की जाए। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चन्द्रन एवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने रंजीत पंडित की लोकहित याचिका को निष्पादित करते हुए यह निर्णय सुनाया ।
वही याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार की फंडिंग से वर्ष 2006 से 2015 के बीच राज्य सरकार ने पंचायतों में नियमित शिक्षकों की नियुक्तियां की। इस दौरान कई फर्जी शैक्षणिक एवं प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र देकर कई शिक्षक नियुक्त हो गए। खंडपीठ को बताया गया कि फर्जी प्रमाण पत्रों पर नियुक्त शिक्षकों को इस्तीफा देने और ऐसे शिक्षकों पर किसी प्रकार का कानूनी कार्रवाई नहीं करने के निर्देश पर करीब तीन हजार शिक्षकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अन्य के प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया जा रहा है।
महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि अब तक निगरानी ब्यूरो ने लगभग छह लाख प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर लिया है। इनमें से करीब 2019 प्रमाणपत्र जाली पाए गए हैं। पिछले नौ वर्षों में 2561 के विरुद्ध लगभग 1317 एफआइआर (प्राथमिकी) दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि 1252 शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त किया गया है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की ओर से वरीय अधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि नियोजित शिक्षकों के 3,52,927 फोल्डर मिलने थे, लेकिन निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को केवल 2,80,759 फोल्डर ही मिले, जिसमें सितंबर 2023 तक 8,30,237 प्रमाणपत्र थे। प्रमाणपत्रों को सत्यापन के लिए संबंधित बोर्डों, विश्वविद्यालयों को भेजा गया। 5,90,945 प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया गया।