815 साल बाद नालंदा विश्वविधालय पूर्णजीवित, PM मोदी के सरकार में हुआ संभव, कल करेंगे उद्घाटन
सबसे पुराना नालंदा विश्वविद्यालय की पूर्ण स्थापना का जो सपना पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने देखा था I वह अब पूरा हो गया है I पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 28 मार्च 2006 को अपने बिहार दौरे पर अंतरास्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर आए हुए थे I तभी उन्होंने प्राचीन विश्वविद्यालय को पुर्नजीवित करने की सलाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दी थी I जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी सलाह पर तत्काल विधानमंडल के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए इसे पूर्णजीवित करने की घोषणा की थी I
आपको बता दें 815 साल बाद नालंदा एक बार पूरे दुनिया में इतिहास रचने जा रहा है I जिसका उद्घघाटन पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा कल यानी 19 जून को किया जाएगा I जानकारी के लिए बता दें कि 455 एकड़ में नालंदा यूनिवर्सिटी का निर्माण किया गया है I जहां 221 संरचनाएं आई हैं I जिसे तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के द्वारा 19 सितंबर 2014 को इसके निर्माण का नींव रखी गई थी I अब 10 साल बाद इसका उद्घघाटन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जा रहा है I इस नालन्दा विश्वविद्यालय में जहां 100 एकड़ में कुल चार तालाबों का समूह है I
वर्तमान समय मे नालंदा विश्वविद्यालय में कुल 17 देश के 400 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं I स्नातकोत्तर एवं पीएचडी के कुल सात विषयों की पढ़ाई हो रही है I जबकि दो विषय इस शैक्षणिक सत्र से शुरू होने वाला है I वहीं डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स के लिए कुछ 10 विषयों की पढ़ाई हो रही है I इस नालंदा विश्वविद्यालय कैंपस में एशिया का सबसे बड़ा लाइब्रेरी बन रही है I यह कयास भी लगाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस विश्वविद्यालय में दुनिया का सबसे बड़े लाइब्रेरी बनाने की मांग प्रधानमंत्री के समक्ष रख सकेंगे I
मालूम हो कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 427 में सम्राट कुमार गुप्त के द्वारा किया गया था I जहां 12वीं शताब्दी के अंत तक 800 से अधिक वर्षों तक यह विश्वविद्यालय संचालित होता रहा I बीच-बीच में 03 बार आक्रमणकारियों की दंश भी झेलना पड़ा I नालंदा विश्वविद्यालय पूरे दुनिया भर में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र था I जहां पांचवी सदी में बने नालंदा विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे I जिनके लिए 1500 अध्यापक हुआ करते थे I छात्रों में अधिकांशत एशियाई देश जैसे चीन, कोरिया , जापान, भूटान से आने वाले बौद्ध भिक्षु होते थे I इतना ही नही चाइना के छात्र ह्वेनसांग ने भी सातवीं सदी में इसी नालंदा में शिक्षा ग्रहण की थी I बता दें कि नालन्दा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी के द्वारा 1193 में जलाकर पूरी तरह से राख कर दिया गया था I जो कई सालों तक यह विश्वविद्यालय धूधू कर जलता रहा I आज यह नालंदा खंडहर के नाम से जाना जाता है I इतना ही नहीं यूनेस्को द्वारा प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय खंडहर को विश्व धरोहर के रूप में भी शामिल किया कर लिया है I