पूजा करते समय आरती की थाली में कपूर, धूप और दीप तीनों को क्यूँ जलाते हैं…? जानिए
क्या आपने कभी सोचा पूजा करते समय आरती की थाली में प्रायः कपूर, धूप और दीप तीनों को क्यूँ जलाते हैं !
कपूर शीघ्र जल जाता है, धूप काफी देर तक जलती है और दीप उससे भी अधिक समय तक। आइये आज इन्हें जलाने के पीछे के आध्यात्मिक दर्शन को जानते हैं I
कपूर गुण में शीतल प्रकृति का होता है, ये हमारे सुख का प्रतीक है , सुख बीतते समय नहीं लगता। धूप हमारे दुःख का प्रतीक है ये समय हमे हमेशा लंबी अवधि का प्रतीत होता है दीप हमारे आनन्द का प्रतीक है ये वो आनंद है जिसकी हम प्रभु से कामना करते हैं।
क्यूँकि एक बार जलने के बाद सबसे अधिक समय तक प्रज्वल्लित रहता है।इसलिए ही अखंड दीप की अवधारणा ने जन्म लिया। इसलिए हम सब अखंड दीप जलाते हैं।इसका अर्थ है की जीवन में अखण्ड आनंद की कामना करते हैं। कभी आपने सुना कि अखंड कपूर जलाया जाता हो या अखंड घूप जलाई जाती हो ?
लोग प्रायः त्योहार के अवसर पे अखण्ड दीप जलाते हैं। ये भारतीय मनीषा सुख और दुःख की अवधारणा से मुक्त हो कर अखंड आनंद की कामना की अवधारणा की पोषक है।ये है अखंड दीप का अर्थ अर्थात अखंड आनंद।
जय श्री गणेश 🙏