पितृपक्ष मेले में इस बार 15 से 20 लाख तीर्थयात्रियों के आने की संभावना, जानें क्या है पिंडदान का महत्व?
17 सितंबर से विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला गया में शुरू है I दो अक्टूबर तक यह चलेगा I तीन दिन समाप्त हो चुके हैं और लगातार तर्पण और पिंडदान आदि करने के लिए के तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं I इस बार 15 से 20 लाख तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है I इस मेले में हर साल की तरह इस साल भी हर तरीके की व्यवस्था की गई है I अगर आप भी पितृपक्ष मेले में गया आने वाले हैं तो एक नजर डाल लीजिए कि यहां कितने शानदार तरीके से क्या कुछ व्यवस्था की गई है I फ्री में रहने के साथ-साथ और भी बाकी सुविधा दी गई है I
आपको बता दें मेले के चलते भीड़ काफी होती है I ऐसे में ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाने के लिए इस बार बाईपास से सीधा मुक्ति धाम होकर देव घाट तक पहुंच सकते हैं I इसके लिए पाथवे का निर्माण कराया गया है I सीएम नीतीश कुमार ने उद्घाटन किया था I इसके साथ ही गया आते हैं तो आपको महंगे होटल के चक्कर में नहीं पड़ना है I होटल जैसी सुविधा निशुल्क तीर्थयात्रियों के लिए की गई है I गांधी मैदान में 2500 क्षमता वाले टेंट सिटी का निर्माण कराया गया है I यहां तीर्थयात्री आराम से ठहर सकते हैं I
गया में पिंडदान करने की क्या है वजह?
पौराणिक कथाओं के अनुसार गयासुर नाम का एक असुर था जो भगवान विष्णु का भक्त था I अपनी भक्ति से भगवान विष्णु को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त किया था I गयासुर के दर्शन करने से सभी पापों की मुक्ति मिलती है I यहां फल्गु नदी के किनारे भगवान राम और माता सीता ने राजा दशरथ की आत्मशांति के लिए पिंडदान किया था I यहां पिंडदान करने से पितृऋण से मुक्ति मिल जाती है I पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है I सद्गति और उद्धार हो जाता है I
पितृपक्ष में ही पिंडदान क्यों?
पितृपक्ष अवधि को महालया कहा जाता है I ऐसी मान्यता है कि इस महालया में सभी मृत पितृ गया पहुंचते हैं I उद्धार और मोक्ष की कामना के साथ गया जी में प्रवास करते हैं I वह अपने वंशजों के आने का इंतजार करते हैं कि कब उनका वंशज यहां आएगा और पितरों को उद्धार और मोक्ष की प्राप्ति होगी I यही वजह है कि इस अवधि में लाखों की संख्या में तीर्थयात्री यहां आते हैं I