कोरोना वजह से दशहरा मेला की तैयारियां फीकी, बेरोजगारों की संख्या में लगातार वृद्धि चिंताजनक

 कोरोना वजह से दशहरा मेला की तैयारियां फीकी, बेरोजगारों की संख्या में लगातार वृद्धि चिंताजनक

कोविड-19 महामारी के कारण दशहरा के अवसर पर जिले भर में मेले के आयोजन पर संश्यान बना हुआ है। बिहार की राजधानी पटना समेत पूरे जिले में लगभग दस दिनों तक दशहरा में उत्सवी महौल बना रहात है। पूजा पंडालों के आस-पास मेला जैसा नजारा देखने को मिलता है। सप्तमी से लेकर दशमी तक पूरा शहर मेले में तब्दील रहता है। शहर के प्रमुख चौक चौराहों पर बेली रोड पर डाकबंगला चौराहे से लेकर राजाबाजार, बोरिंग रोड चौराहे से पाटलिपुत्र गोलम्बर, नाला रोड, कदमकुंआ, गांधी मैदान, गांधी मैदान से अशोक राजपथ, महेंद्रू, पटना सिटी, चिरैयाटाड़ से कंकड़बाग, हनुमान नगर इत्यादि जगहों पर दशहरा में मेला जैसा नजारा रहता है। इन मेलों में खाने पीने हजारो स्टॉल लगते हैं, आकर्षक झांकियां, आकर्षक बच्चों के लिए खिलौने, इन स्टॉलों के जरिये हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। मेले में लोग सपरिवार अपने घरो से घूमने के लिए निकलते है। जिससे मेलों में खाने पीने के समानों, खिलौनों इत्यादि की जमकर ब्रिक्री होती है। एक सर्वे के अनुसार मेलों के जरिये कई लाख रूप्ये का कारोबार होता है। 
कोरोना महामारी के कारण पिछले पांच महिनों से मोकामा में सभी प्रकार के सार्वजनिक आयोजन बंद है। ऐसे में संशय बना हुआ है कि सबसे बड़े त्योहार नवरात्रि में भी इस प्रकार की बंदी रही तो इस क्षेत्र की हजारों लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी। नवरात्रि के अवसर पर मोकामा एवं घोसवरी प्रखंड करीब 60 से अधिक जगहों पर दुर्गा पूजा का आयोजन एवं मेला लगता है। इस दौरान मेले में लगने वाले न्यूनतम पांच हजार लोग प्रसाद, खिलौना मीना बाजार में अिद में स्टॉल लगाते है। 
पंकज साव जो लगभग 40 वर्षो से मेले में दुकान लगाते है उनका कहना है कि अपने जीवन काल में यह पहला मौका है जब परशुराम जयंती, गणेश चतुर्थी और नागपंचमी पर सन्नाटा पसरा रहा। अब लगता है कि भूखे मरने की नौबत आने वाली है। इनके बेटे एवं पोते भी यही काम करते है। मेलों में करीब पांच जगह दुकान लगाते है। लेकिन इस बार कोरोना के चलते सब कुछ समाप्त हो गया है। आमदनी पिछले पांच महिने से ठप है। अब सारा उम्मीद दशहरा नवरात्र पर लगी है। मोकामा में ऐसे मेले लगाने वालों की संख्या लगभग पांच हजार है।
दशहरा नवरात्र पालीगंज और आसपास के इलाकों, खासकर अंतिम तीन दिन सप्तमी, अष्टमी, व नवमी को पालीगंज पूरे जष्न में डूब जाता है। पालीगंज देवी मंदिर क

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