शिवसेना के संजय राउत भाजपा के विरोध में,कहा आदित्य ठाकरे को परेशान करने वालों के साथ सत्ता में क्यों जाएं
भाजपा नेताओं ने जिन आदित्य ठाकरे को परेशानी में लाया, उनके संबंध में बिना कारण बदनामी की, शिवसेना को मुश्किल में लाया, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे घर पर बैठकर काम करते हैं जैसी लगातार टिप्पणी की उस पार्टी के साथ सत्ता में क्यों जाएं|
महाविकास आघाड़ी की पार्टियां कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के संबंध पेंचीदा हो गए हैं| कांग्रेस नेताओं ऐसी सोच है कि वे सत्ता में बने हुए है यही बड़ी बात है, जबकि अन्य दो दल पार्टी के विस्तार के लिए चल रही एक दूसरे की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं| एकनाथ खड़से और भाजपा के अन्य असंतुष्ट नेता राकांपा के रास्ते पर रहने के बीच ही सांसद संजय राऊत और देवेंद्र फडणवीस के बीच मुलाकात की खबर बाहर आई है, जिसके चलते ही भाजपा-शिवसेना में संवाद तो शुरू नहीं हो गया है, इस बात की आशंका के कारण बेचैन नेता दुविधा में फंसे है|
इसमें राकांपा पर दबाव डालने का काम भी सहज हो गया है|
लेकिन इतना सीमित मतलब इस मुलाकात का नहीं है|सत्ताधारी तीनों दलों के एकदूसरे में फंसे पांव और उसकी पेंचीदगी अहम मामला है, जिसके कारण कोई भी एक दल के लिए इस महाविकास आघाड़ी को तोड़कर दूसरी तरफ जाना बिल्कुल आसान नहीं रह गया है| अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच संबंध बहुत अच्छे है,जिसके चलते यदि दोनों एकसाथ आ गए तो यह बात राकांपा के सर्वेसर्वा सांसद शरद पवार को स्वीकार होगी क्या और इसके कारण भाजपा में देवेंद्र फडणवीस का महत्व बढ़ा तो क्या वह राज्य भाजपा के कुछ नेताओं को स्वीकार होगा? इसमें पवार द्वारा बनाई गई अपनी ‘सेक्युल
र’ छवि और उसी के लिए ही भाजपा के साथ नहीं जाने के फैसले का क्या होगा, जैसे सवाल तो बने ही हुए हैं|अगर राकांपा ने अजीत पवार के नेतृत्व में अलग गुट बनाने का तय कर भी लिया तो उसे विधानसभा के अध्यक्ष की स्वीकृति की जरूरत होगी,जो पद कांग्रेस के पास है|