सरकार के उड़द आयात के फैसले से कीमतों में बड़ी गिरावट की कोई आशंका नहीं
भारतीय दलहन एवं अनाज संघ (आईपीजीए) ने 1.5 लाख टन उड़द का आयात कोटा जारी करने के सरकार के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया और कहा कि इससे कीमतों में कोई बड़ी गिरावट आने की आशंका नहीं है।
आईपीजीए के उपाध्यक्ष, बिमल कोठारी ने एक बयान में कहा, ”यह कुछ हद तक ऊंची कीमतों को नरम करेगा लेकिन कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि 1.5 लाख टन का आयात, कोई इतनी बड़ी मात्रा नहीं है जो कीमतों में भारी कमी लाकर उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे ले आएगी।
उन्होंने कहा, ”इस खबर के बाद, हमने पहले ही कीमतों में कुछ रुपए की कमी देखी है।” कोठारी ने कहा कि सरकार द्वारा जारी उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, उड़द का उत्पादन लगभग 21 लाख टन होगा जो देश की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हालांकि, उड़द खेती वाले क्षेत्रों में निरंतर बरसात के कारण, फसल की क्षति हुई है, जिससे मूल्य वृद्धि हुई है। बारिश से हुए नुकसान का अनुमान लगाया जाना अभी बाकी है।
पिछले साल भी बारिश के कारण फसल का नुकसान हुआ था और उड़द का कुल उत्पादन 13 लाख टन ही हुआ था। उन्होंने कहा कि इस बात पर विचार करते हुए, सरकार ने 1.5 लाख टन उड़द का आयात कोटा जारी किया है, जो समान और आवेदन की गई मात्रा (जो भी कम होगी) के हिसाब से केवल पात्र और सत्यापित आवेदकों को वितरित किया जाएगा। जून में लाइसेंस प्राप्त आवेदकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उड़द आयात की खेप 31 मार्च, 2021 को या उससे पहले भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच जाए। इसके अलावा, यह आयात ज्यादातर म्यांमार से ही पूरा किया जाएगा क्योंकि वह एकमात्र उत्पादक देश है और वहां के व्यापारियों ने पहले ही कीमतें बढ़ाना शुरू कर दिया है, जो कि प्रति टन 100 डॉलर से अधिक हो गई है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय ने बृहस्पतिवार को एक नोटिस में उड़द आयात के लिए कोटा आवंटन की प्रक्रिया पेश की। इसमें कहा गया, ”जिन पात्र और सत्यापित आवेदकों को जून 2020 में उड़द आयात के लिए कोटा आवंटित किया गया था उन्हीं के बीच 1.5 लाख टन उड़द का कोटा समान रूप से या आवेदन की गई मात्रा के हिसाब से (दोनों में जो भी कम होगा) के मुताबिक दिया जाएगा।”
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