बिहार का एक ऐसा गांव जहां का मुस्लिम परिवार हर साल करता है जन्माष्टमी का इंतजार, जानें क्यों ?

 बिहार का एक ऐसा गांव जहां का मुस्लिम परिवार हर साल करता है जन्माष्टमी का इंतजार, जानें क्यों ?

बिहार का एक ऐसा गांव है जहां का मुस्लिम परिवार हर साल जन्माष्टमी का इंतजार करता है I यहां सभी कान्हा के दीवाने हैं I आम तौर पर माना यह जाता है कि जन्माष्टमी या कृष्णाष्टमी हिंदुओं का पर्व है और लोगों को हर साल बेसब्री से अपने कान्हा का जन्मोत्सव मनाने का इंतजार रहता है, लेकिन, मुजफ्फरपुर जिले में बसा यह ऐसा गांव है जहां ‘बांसुरीवाले’ के लिए मुस्लिम परिवार इंतजार करते हैं I ये सभी जन्माष्टमी की शोभा बढ़ा देते हैं I

आपको बता दें मुजफ्फरपुर के कुढ़नी प्रखंड के बड़ा सुमेरा मुर्गिया चक गांव में 25 से 30 मुस्लिम परिवार ऐसे हैं, जो चार पीढ़ियों या उससे भी पहले से बांसुरी बनाने का काम करते हैं I इनका कहना है कि जन्माष्टमी पर्व पर उनकी बांसुरी की बिक्री बढ़ जाती है I मुस्लिम गांव के लोग बताते है कि पुश्त-दर-पुश्त वे लोग बांसुरी बनाने का काम कर रहे हैं और यही परिवार चलाने का एकमात्र जरिया है I

आपको बता दें बांसुरी बनाने में निपुण मोहम्मद आलम अपने पिता से करीब 40 साल पहले बांसुरी बनाने की कला सीखी थी और तब से अब तक वे इस कार्य में लगे हुए हैं I उन्होंने कहा कि यहां की बनाई बांसुरी की कोई जोर नहीं है I यहां की बांसुरी की खनक भरी धुन अलग होती है I यहां की बांसुरी बिहार के सभी जिलों के अलावा झारखंड, यूपी के साथ नेपाल, भूटान तक जाती है I

वे कहते हैं, जन्माष्टमी के समय भगवान कृष्ण के वाद्ययंत्र बांसुरी की बिक्री बढ़ जाती है I दशहरा के मेले में भी बांसुरी खूब बिकती है I यहां की बांसुरी नरकट की लकड़ी से बनाई जाती है I जिसकी खेती भी यहां के लोग करते हैं I गांव में बांसुरी बनाने वाले नूर मोहम्मद 12 से 15 साल की उम्र से बांसुरी बना रहे है I उन्होंने कहा कि नरकट को छील कर पहले सुखाया जाता है I इसके बाद बांसुरी तैयार की जाती है I

संबंधित खबर -