NFHS सर्वे के अनुसार, बिहार में लिंगानुपात में 17 जिलें आए अव्वल, पटना व मुजफ्फरपुर सबसे पीछे


बेटे-बेटियों के अनुपात में संतुलन के मामले में बिहार के 17 जिले जहां अव्वल हैं वहीं 21 जिले बेटियों के मामले में पिछड़ गये हैं। इसका खुलासा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2019-20 द्वारा जारी रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक हजार बेटों पर मात्र 908 बेटियां हैं, जबकि पांच साल पहले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के अनुसार एक हजार बेटों पर 934 बेटियां थीं।

शहरी क्षेत्रों में बढ़ी बेटियों की संख्या
एनएफएचएस 2019-20 की रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में ही बेटियों की संख्या बढ़ी है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार बेटों पर मात्र 903 बेटियां ही जन्म ले रही हैं। राज्य में सबसे खराब प्रदर्शन मुजफ्फरपुर का है। यहां एक हजार बेटों पर मात्र 685 बेटियां ही जन्म लेती हैं। दूसरे स्थान पर सारण है। यहां एक हजार लड़कों पर 779 बेटियां ही जन्म लेती हैं। तीसरे स्थान पर मधुबनी है। यहां एक हजार पर 805 बेटियां जन्म लेती हैं। महिला पुरुष के लिंगानुपात में पटना सबसे खराब है। यहां एक हजार पुरुषों पर 850 महिलाएं हैं। जबकि पांच साल पहले यह संख्या 964 थी। सबसे अधिक महिलाएं किशनगंज में हैं। यहां एक हजार पुरुष पर 1,199 महिलाएं हैं।
वैशाली में बढ़ा बेटियों का महत्व
बेटियों से ही समाज है। इस बात को स्वीकार कर सुधार करने में वैशाली जिला सबसे आगे रहा है। पांच साल पहले वैशाली में एक हजार बेटों पर 826 बेटियां जन्म लेती थीं, लेकिन अब बेटों से अधिक बेटियों की संख्या हो गई है। यहां एक हजार बेटों पर 1118 बेटियां जन्म लेती हैं।

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