Achala Saptami 2021: अचला सप्तमी पर आज पढ़ें पौराणिक कथा, मिलेगा पुण्य

 Achala Saptami 2021: अचला सप्तमी पर आज पढ़ें पौराणिक कथा, मिलेगा पुण्य
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आज 19 फरवरी (शुक्रवार) को अचला सप्तमी है. आज भक्त सूर्य देव की पूजा अर्चना करेंगे. सूर्य देव शक्ति के वाहक हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन निरोगी होता है, धन, संपत्ति की प्राप्ति होती है और योग्य संतान की प्राप्ति होती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी होती है. इसे रथ सप्तमी, सूर्य सप्तमी या आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है. सूर्य के उत्तरायण होने पर प्रकृति के असीम ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए तमाम विधान बनाए गए हैं. उन्हीं में से एक है रथ सप्तमी (Ratha Saptami). इस दिन को कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को सूर्य की जन्मतिथि भी कहा जाता है. इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसे रथ सप्तमी कहते हैं. आइए जानते हैं अचला सप्तमी की पौराणिक कथा…


अचला सप्तमी की पौराणिक कथा:

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पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया था. एक बार दुर्वासा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए. वे बहुत अधिक दिनों तक तप करके आए थे और इस कारण उनका शरीर बहुत दुर्बल हो गया था.

शाम्ब उनकी दुर्बलता को देखकर जोर-जोर से हंसने लगा और अपने अभिमान के चलते उनका अपमान कर दिया. तब दुर्वासा ऋषि अत्यंत क्रोधित हो गए और शाम्ब की धृष्ठता को देखकर उसे कुष्ठ होने का श्राप दे दिया.

शाम्ब की यह स्थिति देखकर श्रीकृष्ण ने उसे भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा. पिता की आज्ञा मानकर शाम्ब ने भगवान सूर्य की आराधना करना प्रारंभ किया, जिसके फलस्वरूप कुछ ही समय पश्चात उसे कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई.

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इसलिए जो श्रद्धालु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना विधिवत तरीके से करते हैं. उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बताया गया है.

इस व्रत को करने से शरीर की कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी, जोड़ों का दर्द आदि रोगों से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं भगवान सूर्य की ओर अपना मुख करके सूर्य स्तुति करने से चर्म रोग जैसे गंभीर रोग भी नष्ट हो जाते हैं.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यदि विधि-विधान से यह व्रत किया जाए तो सम्पूर्ण माघ मास के स्नान का पुण्य मिलता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं.

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