भारत में बढ़ रही है ऑनलाइन गेम खेलने की लत, आंखों पर बुरा असर, आई डिजीज की समस्या?

 भारत में बढ़ रही है ऑनलाइन गेम खेलने की लत, आंखों पर बुरा असर, आई डिजीज की समस्या?

भारत ऑनलाइन गेमिंग का एक तेजी से उभरता हुआ बाजार है I भारत में ही दुनिया के सबसे ज्यादा गेमिंग ऐप्स डाउनलोड किए जाते हैं I यहां 40 करोड़ से जयादा गेमर्स हैं, जिनमें से लगभग छह लाख ईस्पोर्ट्स प्लेयर हैं I गेमर्स की इतनी बड़ी संख्या के साथ कोई केवल कल्पना ही कर सकता है कि हर प्लेयर लगातार कितने घंटे तक स्क्रीन पर नजर जमाए रखता है I

अगर हम सामान्य गेमर्स की बात करें तो भी 2022 के स्टेटिस्टा के आंकड़ों के अनुसार, हर प्लेयर एवरेज हर हफ्ते चार घंटे से ज्यादा समय स्क्रीन के सामने बिताता है I इतने लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहने से स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ता है I इनमें गेमर आइज सिंड्रोम की समस्या एक प्रमुख चिंता का विषय है I इसलिए गेमर आइज सिंड्रोम को समझना जरूरी है क्योंकि यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में डिजिटल युग से जुड़ी एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता बन गया है I

आपको बता दें गेमर आइज सिंड्रोम कुछ हद तक ड्राई आइज सिंड्रोम जैसा ही होता है, जो लंबे समय तक गेमिंग के कारण होता है I यह किसी भी तरह की डिजिटल गेमिंग से हो सकता है I चाहे आप स्मार्टफोन, टीवी, कंप्यूटर मॉनिटर या यहां तक ​​कि वीआर हेडसेट पर गेम खेलते हों I लगातार गेम खेलते समय हम अक्सर पलक झपकाना कम कर देते हैं या भूल जाते हैं I इससे हमारी आंखें सूखने लगती हैं I कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली तेज रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है I वहीं बिना आराम के लंबे समय तक स्क्रीन पर ध्यान लगाने से आंखों की मांसपेशियां थक जाती हैं और उन पर जोर पड़ता है I

मालोम हो कि ड्राई आई डिजीज (DED) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंखों में पर्याप्त आंसू नहीं बनते हैं या बनने वाले आंसू जल्दी सूख जाते हैं I आंसू आंखों को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं I वे आंखों को नम रखते हैं, धूल और मलबे को साफ करते हैं I साथ ही संक्रमण से बचाते हैं I उत्तर भारत में हुए एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि 32 फीसदी लोगों को ड्राई आई डिजीज है और लक्षणों के आधार पर 81 फीसदी मामलों में यह गंभीर स्तर का था I वहीं दक्षिण भारत में एक अन्य अध्ययन में 1.46 फीसदी लोगों में ड्राई आई डिजीज की शुरुआत देखी गई I शोधकर्ताओं का अनुमान है कि अगले दशक के अंत तक शहरी और ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा DED से पीड़ित होगा I

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