बिहार में भी जनसंख्या कानून को लेकर चर्चाएं तेज,2 से अधिक बच्चे होंगे तो नही लड़ सकते चुनाव

 बिहार में भी  जनसंख्या कानून को लेकर चर्चाएं तेज,2 से अधिक बच्चे होंगे तो नही लड़ सकते चुनाव

उत्तर प्रदेश के बाद अब बिहार में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। बता दें कि हल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या रोधी कानून लाने का खाका तैयार किया है। जो कि देश में एक नया और अहम मुद्दा छेड़ दिया है। सत्तापक्ष इसका भरपूर समर्थन कर रहा है और जोरदार प्रचार किया जा रहा है। जनसंख्या नियंत्रण कानून के तहत जिन लोगो को 2 बच्चे से अधिक बच्चे होंगे तो उन्हें सरकारी सुविधाओं से दरकिनार किया जा सकता है और वे चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं।

बता दें बिहार पंचायत चुनाव भी नजदीक है और ऐसे में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि सरकार बिहार में भी पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों पर जनसंख्या कानून लागू करने का सोच रही है।अपने एक इंटरव्यू के दौरान दिए गए बयान में पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार दो बच्चों से अधिक वाले उम्मीदवार पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित किये जा सकते हैं। इतना ही नहीं सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि दो बच्चो से अधिक वाले लोगों को अन्य सरकारी सुविधाओं से भी दरकिनार किया जा सकता है। कहीं न कहीं यह फैसला पंचायत चुनाव से पहले एक धमाके की तरह है जो कईयों की नींदे उड़ा देगा।

ये भी जानना जरूरी है कि साल 2011 की राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार बिहार की कुल आबादी 10 करोड़ 38 लाख 4 हजार 637 थी जो अनुमानतः 2021 में बढ़कर लगभग 12 करोड़ पहुँच गयी है।देश में जनसंख्या वृद्धि की सर्वाधिक दर बिहार में ही आंकी जा रही है। ऐसे में इस पर कोई समाधान महत्वपूर्ण हो जाता है। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा इस कानून (Population Control Bill) पर असहमति जताई है और कहा है कि यह कोई बेहतर विकल्प नहीं है. उन्होंने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को शिक्षित करना जरूरी है।यहीं एक रास्ता है जो जनसंख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि पर लगाम लगा सकता है।

इसके साथ ही आपको बता दें कि बिहार के दो बड़े नेता और सांसद नित्यानंद राय और गिरिराज सिंह भी इस कानून (Population Control Bill) का समर्थन कर चुके है और बिहार में इसके लागू करने की बात को सार्थक और महत्वपूर्ण करार चुके है। ऐसे में देखना ये है भाजपा के हाथो की कठपुलती बन चुके नीतीश सरकार पर इसका कितना दबाव बनता है और क्या वह वाकई पंचायत चुनाव से पहले उसे लागू कर पाती है या नहीं!

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