अक्षय नवमी पर्व पर भगवान विष्णु के साथ आंवला के पेड़ की होती है पूजा : डा. नम्रता आनंद
पटना: 02 नवंबर हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवला के पेड़ की पूजा करने का विधान है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा और इसके नीचे खाना बनाया जाता है। इस दिन जप-तप,दान-स्न्नान आदि धार्मिक कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार,अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करने से भगवान विष्णु,देवी लक्ष्मी और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु और आंवले की पेड़ की पूजा करने के साथ-साथ दान पुण्य करने का विशेष महत्व है।माना जाता है कि इस दिन आंवला के पेड़ की विधिवत पूजा करने के साथ सपरिवार पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।इस दिन आंवले को खाना अमृत पीने के समान माना गया है। अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है। मान्यताओं के इस दिन के पूजापाठ का फल अक्षय तृतीया के समान प्राप्त होता है।
अक्षय नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक श्री हरि विष्णु आंवले के वृक्ष पर निवास करते है । इसी कारण अक्षय नवमी को आंवला पूजन सम्पूर्ण स्त्री जाति के लिए धन संपत्ति , सौभाग्य वृद्धि तथा सन्तान सुख प्राप्ति कारक माना जाता है । इस दिन पूजा-अर्चन ,स्नान तर्पण ,अन्न आदि का दान तथा परोपकार करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने के बाद मां लक्ष्मी के निमित्त कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना गया है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी की भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। अक्षय नवमी के दिन सुबह-शाम इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में वैभव की प्राप्ति होती है और धन आगमन के नए-नए अवसर मिलते हैं।