12 अप्रैल महापुरूष राणा सांगा की जयंती, आइए जानते है राणा के बारे में

 12 अप्रैल महापुरूष राणा सांगा की जयंती, आइए जानते है राणा के बारे में

12 अप्रैल को महापुरूष राणा सांगा की जयंती मनाई जाती है। राणा सांगा के नाम से मशहूर इस वीर योद्धा का नाम महाराणा संग्राम सिंह था, जो राणा कुंभा के पोते और राणा रायमल के पुत्र थे। महाराणा संग्राम सिंह एक उग्र राजपूत राजा थेI जिनको उनके साहस और शौर्य के लिए जाना जाता था। 12 अप्रैल 1482 को जन्में राणा राजपूतों के सिसोदिया वंश से संबंध रखते थे। राणा अपने भाइयों के साथ उत्तराधिकार की लड़ाई लड़ी जिसके बाद साल 1508 में वो मेवाड़ की गद्दी पर आसीन हुए और 20 सालों तक शासन किया।

आपको बता दें राणा मध्यकालीन भारत के अंतिम शासक थे, जिन्होंने कई राजपूत राज्यों को फिर से खड़ा किया। युद्ध के दौरान एक हाथ और एक आंख खोने के बावजूद विदेशी आक्रमणकारियों का डट कर सामना किया। बताया जाता है कि राणा के शरीर पर 80 से भी ज्यादा घाव थे। उन्होंने अपने जीवन काल में कई युद्ध लड़े जिसमें से कुछ युद्ध बहुत मशहूर हैंI पहला खतोली का युद्ध और दूसरा खानवा का युद्ध I

खतोली का युद्ध : – यह युद्ध 1518 में राणा ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ लड़ा था। ये लड़ाई हरवती (हरौती) की सीमाओं पर खतोली गांव के पास पांच घंटे की लड़ाई लड़ी थी। जिसमें लोदी ने हार मानकर युद्ध का मैदान छोड़ दिया। इस लड़ाई के दौरान राणा ने अपना एक हाथ और एक आँख खो दी थी।

खानवा का युद्ध :- खानवा का युद्ध पानीपत के युद्ध के बाद दूसरा सबसे अहम युद्ध माना जाता है, जिसमें उन्होंने कई अन्य राजपूत राजाओं को इक्क्ठा कर बाबर से युद्ध किया। कई दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में राजपूतो की हार हुई। इसके बाद साल 1958 में 30 जनवरी को राणा की मृत्यु हो गयी। ऐसा कहा जाता है कि उनके रसोइयों ने उनके भोजन में जहर मिला दिया था।

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संवाददाता

पुजा कुमारी

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