बाबा का ढाबा

 बाबा का ढाबा

दरअसल, ये 80 साल के बुजुर्ग, अपनी पत्नी के साथ मालवीय नगर में एक छोटा सा ढाबा चलाते हैं| ढाबे का नाम ही ‘बाबा का ढाबा’ है| ढाबा चला रहे बुजुर्ग बताते हैं कि यह ढाबा उन्होंने 1990 में शुरू किया था, लेकिन पिछले 30 सालों में कभी ऐसी परेशानी नहीं हुई, जितनी लॉकडाउन के दौरान झेलनी पड़ी| बाबा के ढाबा पर खाने की तस्वीर रवीना टंडन ने भी की शेयर|
बाबा का ढाबा के मालिक बाबा बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उनकी कमाई बिल्कुल बंद हो गयी जिसकी वजह से घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया| कुछ दिन तो बिना खाना खाये ही निकालने पड़े| बाबा और उनकी पत्नी बताती हैं कि उनके 3 बच्चे (2 बेटे और एक लड़की है) लेकिन तीनों में से कोई भी काम में साथ नहीं देता और दो वक्त के खाने के लिए उन्हें खुद ही कमाना पड़ता है|

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